18 मई, विनायक चतुर्थी के दिन ऐसे करें श्रीगणेश की पूजा, सुख-समृद्धी के साथ मिलेगा धनलाभ
सनातन धर्म में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भगवान गणेश की उपासना का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी विध्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इस माह विनायक चतुर्थी 18 मई, ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी को पड़ रही है और इस मौके पर हम आपको शास्त्रों में वर्णित भगवान गणेश की विशेष पूजा विधि बताने जा रहे हैं। ताकी आप भी इस दिन गणपति की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा से सुख-सौभाग्य पा सकें।
ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा
सबसे पहले पूजन के लिए भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा घर ले आएं और श्रीगणेश की प्रतिमा को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद उन्हे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
लाल सिंदूर से ही गणेश जी के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दो-दो खड़ी रेखाओं से दोनों तरफ से घेर दें। फिर इसके दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि लिख दें, साथ ही गणेश जी के दोनों पुत्रों, शुभ और लाभ लिख दें।
इसके बाद श्रीगणेश को लाल फूल चढ़ाएं और पीले फूल की माला अर्पित करें। साथ ही 21 लड्डू का भोग लगाएं..पान-सुपारी, लौंग चढाएं और घी का दीपकजलाएं, इसके बाद ॐ गणेशाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
इस दौरान श्रीगणेश के साथ ही लक्ष्मी जी की भी पूजा करें.. गणेश जी और लक्ष्मी जी दोनो को गुलाब का फूल चढ़ाएं। पान सुपारी, पीली मिटटी, हल्दी की गांठ भगवान विनायक को अर्पित करें। धुप से आरती कर उसकी ज्योत पूरे घर में घुमाएं।
मोदक का भोग से प्रसन्न होंगे गणपति
वहीं शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है मोदक का भोग। जी हां, अगर आपने गणपति पूजा में मोदक का भोग नहीं चढ़ाया तो माना जाता है कि ऐसी पूजा अधूरी रह जाती है। दरअसल ऐसी मान्यता है कि गणेश जी को मोदक बेहद प्रिय है। आप गणपति की कोई भी मूर्ति या छवि देखेंगे तो पाएंगे कि उनके हाथ में या पास में हमेशा उनका प्रिय मोदक जरूर रखा होता है। दरअसल भगवान गणेश के हाथ में रखे मोदक से अभिप्राय उनके हाथ में आनंद प्रदान करने की शक्ति से है। वहीं मोदक ज्ञान का भी प्रतीक होता है, इसलिए उसे ज्ञानमोदक भी कहते हैं। मान्यता है कि जिस प्रकार मोदक मीठा होता है, वैसे ही ज्ञान से मिला आनंद भी मीठा होता है।यानी कि गणेश जी का मोदक प्रिय होना भी उनकी बुद्धिमानी का परिचय है। ऐसे में अगर आप भी गणेश जी की कृपा और ज्ञान का आर्शीवाद चाहते हैं तो उन्हें पूजन में मोदक अवश्य चढ़ाएं।
इस तरह विधिवित की गई पूजा से गणपति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के दूख दूर करते हैं, आपको ज्ञात हो कि श्रीगणेश, विघ्नहर्ता भी कहलाते हैं, ऐसे में विनायक चतुर्थी के दिन लोग अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए गणपति की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। अगर आप भी जीवन में किसी तरह के कष्ट से पीड़ित हैं तो इस विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की बताई गई विधि से पूजा करें, श्रीगणेश आपके कष्टो को अवश्य दूर करेंगे।