चमत्कार: इस देवी मंदिर में घी-तेल से नहीं बल्कि जलता है नदी के पानी से दीपक
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भारत एक धार्मिक देश है यह बात सभी लोग जानते हैं। भारत में कई धर्मों के लोग साथ मिलकर रहते हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा यहाँ आज भी हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग रहते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवताओं में से कुछ की पूजा भारत के कोने-कोने में की जाती है। जबकि कुछ ऐसे देवी-देवता भी हैं, जिनकी पूजा कुछ-कुछ जगहों पर की जाती है। आज के इस आधुनिक युग में कुछ लोग धर्म और देवी-देवताओं पर यक़ीन नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को समय-समय पर भगवान अपना चमत्कार दिखाते रहते हैं।
गड़ियाघाट माताजी के मंदिर में जलता है पानी से दीपक:
आज हम आपको भी एक ऐसे ही चमत्कार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर यक़ीनन आपके होश उड़ जाएँगे। दरअसल मध्यप्रदेश के गड़ियाघाट माताजी के मंदिर में एक ऐसी अद्भुत चमत्कारिक घटना होती है, जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। आप भी इस घटना को देखकर हैरानी में पड़ जाएँगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें देवी का यह मंदिर कालीसिंध नाम की नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर में दीपक जलाने के लिए घी या तेल की ज़रूरत नहीं पड़ती है। जी हाँ इस मंदिर में दीपक पानी से जलाया जाता है। क्यों उड़ गए ना आपके होश?
सपने में आकर माता ने कहा पानी से दीपक जलाने को:
जानकारी के अनुसार पिछले 50 सालों से इस मंदिर में ऐसा ही होता आ रहा है। दीपक घी या तेल की बजाय पानी से जलता है। गड़ियाघाट वाली माता का यह मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे आगरा-मालवा के नलखेड़ा गाँव से लगभग 15 किलोमीटर दूर गड़िया गाँव के पास स्थित है। मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी सिद्धू सिंह के अनुसार पहले इस मंदिर में भी तेल और घी से ही डिंपल जलता था, लेकिन एक रात को माता सपने में आयीं और पानी से दीपक जलाने के लिए कहा। सुबह उठकर उन्होंने पास की कालीसिंध नदी से जल भरा और उसे दीपक में डाल दिया। दीपक में रुई डालकर जैसे ही माचिस उसके पास ले गए चमत्कार हो गया।
दीपक में पानी डालते ही बदल जाता है चिपचिपे पदार्थ में:
ऐसा होता देख वह घब गए और लगभग 2 महीने तक इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। लेकिन बाद में उन्होंने इसके बारे में कुछ ग्रामीणों को बताया। पहले तो गाँव वालों को भी पुजारी की बात पर यक़ीन नहीं हो रहा था, लेकिन जब उन्होंने पानी डालकर दीपक जलाया तो उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। उसके बाद इस चमत्कार की पूरे गाँव में चर्चा होने लगी। उसके बाद से आज तक इस मंदिर में पानी से ही दीपक जलाया जाता है। बताया जाता है कि जब दीपक में पानी डाला जाता है तो वह चिपचिपे पदार्थ में बदल जाता है और दीपक जलने लगता है।
बताया जा रहा है कि पानी से जलने वाला यह दीपक बरसात के मौसम में नहीं जलता है। बरसात के मौसम में कालीसिंध नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे यह मंदिर डूब जाता है और यह पूजा-पाठ नहीं होती है। बरसात के मौसम के बाद सितम्बर-अक्टूबर में आने वाले शारदीय नवरात्र के पहले ही दिन दुबारा पानी से दीपक जलाया जाता है। यह दीपक अगले साल बारिश के मौसम तक लगातार जलता रहता है। ऐसी चमत्कारिय घटना के बारे में जानकर कोई कैसे नहीं ईश्वर पर यक़ीन करेगा।