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500 कुश्तियों में कभी नहीं हारे दारा सिंह, ‘हनुमान’ बनकर हो गए अमर, ऐसी थी उनकी निजी ज़िन्दगी

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हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और मशहूर पहलवान दारा सिंह ने न केवल रेसलिंग की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी बल्कि वह एक्टिंग की दुनिया में भी अपना बड़ा नाम कमा गए। वहीं रामानंद सागर के धारावाहिक ‘रामायण’ में हनुमान का किरदार निभाकर घर-घर में मशहूर हुए दारा सिंह से जुड़े किस्से आज भी याद किए जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे दारा सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें…

ऐसे शुरू हुई थी रेसलिंग की रेस…
सबसे पहले बात करते हैं दारा सिंह के रेसलिंग करियर के बारे में। बता दें, 6 फुट 2 इंच लंबा कद और 120 किलो के दारा सिंह को देखते ही कई लोगों के पसीने छूट जाते थे। दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब के अमृतसर के धर्ममुचक गांव में हुआ। वह जाट परिवार से ताल्लुक रखते थे। बता दे दारा सिंह जब केवल 20 साल के थे तभी वह सिंगापुर चले गए थे। सिंगापुर में वह ड्रम बनाने की कंपनी में काम करते थे जहां के सुपरवाइजर ने ही उन्हें रेसलर बनने की सलाह दी थी।

dara singh

इसके बाद दारा सिंह ने सुपरवाइजर के कहने पर कुश्ती की ट्रेनिंग ली और वह पहली बार साल 1949 में कुआलालंपुर के मशहूर पहलवान तरलोक सिंह से कुश्ती लड़े जिसमे उन्होंने जीत हासिल की। इस दौरान चैम्पियन ऑफ मलेशिया का खिताब दिया गया था जिसके बाद उनका नाम चर्चा में आ गया।

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कभी न हारने का रिकॉर्ड कायम…
इसके बाद उन्होंने पांच साल तक फ्री स्टाइल रेसलिंग में कई पहलवानों को बुरी तरह पटकनी दी। इसी बीच साल 1953 में वह भारतीय कुश्ती चैम्पियन बने। इसके बाद साल 1959 में राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियन और साल 1968 में विश्व चैंपियन का खिताब जीता था। फिर उन्होंने करीब 500 से ज्यादा कुश्तियां लड़ी जिसमें वह एक भी बार नहीं हारे। दारा सिंह की उन दिनों खूब तारीफ हुई जब उन्होंने 200 किलो के किंग कॉन्ग घुमाकर पटक दिया था।

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दरअसल, साल 1962 में झारखंड की राजधानी रांची के अब्दुल बारी पार्क में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के मशहूर रेसलर किंग कॉन्ग से कुश्ती लड़ी थी। इस दौरान दारा सिंह का वजन केवल 120 किलो था, जबकि किंग कॉन्ग 200 किलो का था। इसके बावजूद उन्होंने किंग कॉन्ग को तीन बार पटखनी दी। ये कुश्ती देखने वालों के होश उड़ गए थे। इसी बीच उन्होंने साल 1983 में रेसलिंग से संयास ले लिया।

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ऐसे मिला फिल्मों में काम
अब शुरू होता है उनका फिल्मी करियर। बता दे साल 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘संगदिल’ से उन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा। शुरुआत में वह छोटे-छोटे रोल किया करते थे। इसके बाद दारा सिंह ने करीब 16 फिल्मों में पॉपुलर एक्ट्रेस मुमताज के साथ काम किया जिसमें से करीब 10 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई।

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दिलचस्प बात यह है कि दारा सिंह ने ना केवल फिल्मों में अभिनय किया बल्कि उन्होंने अपने करियर में 7 फिल्मों का लेखन भी किया। साल 1978 में रिलीज हुई फिल्म ‘भक्ति में शक्ति’ उन्हीं के द्वारा लिखी गई थी। इसके बाद साल 2007 में आई फिल्म ‘जब वी मेट’ भी उन्होंने ही लिखी थी। हालांकि उनकी यह आखिरी फिल्म साबित हुई।

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बता दे दारा सिंह को सबसे ज्यादा पहचान रामानंद सागर के ‘रामायण’ से मिली। इस शो में वह हनुमान जी के किरदार में नजर आए थे जिसमें वह घर-घर में पहचाने जाने लगे और लोग उन्हें हनुमान जी के नाम से ही बुलाते थे। इसके बाद दारा सिंह ने कुछ और फिल्मों में काम किया लेकिन इसी बीच 2 जुलाई 2012 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। भले ही दारा सिंह हमारे बीच नहीं है लेकिन वह हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों में जिंदा रहेंगे।

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