अध्यात्म

पितृपक्ष की हो गई शुरुआत जानिए श्राद्ध से जुड़ी हुई कुछ विशेष बातें, जिनका पालन करना है जरुरी

आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है, पितृपक्ष के दिनों में व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध कर्म करते हैं, पितर जिस तिथि को इस दुनिया को छोड़ कर गए हैं उस तिथि के दिन श्राद्ध कर्म का कार्य किया जाता है और उनको जल अर्पित करते हैं, शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पितरों का ऋण श्राद्ध के माध्यम से ही चुकाया जाता है, अगर व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध करता है तो इससे उसके पितर प्रसन्न होते हैं, श्राद्ध के दिनों में पितरों को यह उम्मीद होती है कि हमारे पुत्र पिंडदान और तर्पण आदि हमको अवश्य प्रदान करेंगे, ऐसा बताया जाता है कि पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज पृथ्वी लोक पर आते हैं।

अगर हम हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देखें तो पितृपक्ष के दिनों में हर व्यक्ति को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए, अगर आप भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर रहे हैं तो इससे जुड़ी हुई कुछ विशेष बातों के बारे में जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है, अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं तो इससे आपके पितर प्रसन्न होंगे और इनके आशीर्वाद से आपको अपने जीवन में खुशियां प्राप्त होंगी, आप इन बातों का ध्यान रखकर अपने पितरो का श्राद्ध करते हैं तो इससे इनका आशीर्वाद आपके साथ हमेशा बना रहेगा।

श्राद्ध से जुड़ी हुई कुछ विशेष बातें

  • श्राद्ध के दिनों में अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि पिता का श्राद्ध पुत्र के द्वारा ही किया जाना चाहिए, अगर पुत्र नहीं है तो इस स्थिति में पत्नी कर सकती है, यदि पत्नी भी नहीं है तो ऐसे में कोई सगा भाई भी श्राद्ध कर सकता है, अगर एक से अधिक पुत्र है तो ऐसे में सबसे बड़े पुत्र को ही श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
  • अगर आप श्राद्ध के दिनों में ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं तो आप इस बात का ध्यान रखें कि उनको भोजन करवाने के पश्चात मान सम्मान के साथ इनको विदा कीजिए, ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर भी चलते हैं, इसलिए आप ब्राह्मण भोज कराने के पश्चात अपने परिजनों को भी भोजन कराना चाहिए, इसके अलावा आप ब्राह्मणों को भोजन के लिए दक्षिण दिशा में बैठाएं।

  • ऐसा माना जाता है कि अगर दूध, दही, घी, खीर और शहद से बनी हुई चीजें ब्राह्मणों को खिलाया जाता है तो इससे पितर अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं, क्योंकि यह सभी चीजें पितरों को अत्यधिक पसंद है।
  • आप पितृपक्ष के दिनों में भोजन में से कुत्ते, गाय, कौवे, देवता और चीटियों के लिए उनका भाग अवश्य निकालें, आप कुत्ते और कौवे को भोजन निकालकर इनको भोजन दे और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं, ब्राह्मणों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनको कपड़े, अनाज और दक्षिणा दान करके उनका आशीर्वाद अवश्य लीजिए।

  • आपको श्राद्ध में इस बात का ध्यान रखना होगा कि सिर्फ गाय का घी, दूध और दही का ही इस्तेमाल कीजिए, श्राद्ध कर्म में चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल और इनका दान करना पुण्य माना जाता है।
  • शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया गया है कि हमारे पितर जिस तिथि को यह दुनिया छोड़ कर गए हैं उसी तिथि को इनका श्राद्ध करना चाहिए, इसके अतिरिक्त चतुर्दशी को भी श्राद्ध किया जाना चाहिए, इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शाम के समय श्राद्ध कर्म करने से बचना चाहिए।

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