जानिए कैसे हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह? विवाह में आई थी यह बाधाएं
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाती है, सभी भक्त इस दिन शिव जी की पूजा करके इनको प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास करते हैं, आपको बता दें कि इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी 2020 यानी के शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी, अगर हम धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देखें तो ऐसा बताया जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी का विवाह हुआ था, लोग महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में जाकर भगवान शिव जी की विधि विधान पूर्वक पूजा करते हैं और अपनी मुराद पूरी करने की प्रार्थना करते हैं?
क्या आप लोगों को पता है भगवान शिव जी और माता पार्वती जी का विवाह किस प्रकार से हुआ था? आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है और इनके विवाह में क्या-क्या बाधाएं उत्पन्न हुई थी? आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह की कथा के बारे में जानकारी देने वाले हैं और इनके विवाह में क्या-क्या अड़चनें उत्पन्न हुई थी आप इसके बारे में बताने वाले है।
भगवान शिवजी और माता पार्वती जी के विवाह की कथा
हम सभी लोग इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि माता पार्वती जी ने भगवान शिव जी से विवाह किया था परंतु ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिनको इस विवाह की कथा के बारे में पूरी जानकारी होगी, आपको बता दें कि माता पार्वती जी भगवान शिवजी से विवाह करना चाहती थी और माता पार्वती ने भगवान शिव जी के पास अपने विवाह का प्रस्ताव लेकर कंदर्प को शिवजी के पास भेजा था, तब शिवजी ने उस प्रस्ताव को अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया था, परंतु इसके बावजूद भी माता पार्वती जी नहीं मानी थी और उन्होंने शिव जी को प्राप्त करने के लिए तपस्या आरंभ कर दी थी, शिवजी को पाने के लिए माता पार्वती जी ने कठोर तपस्या की थी जिसकी वजह से हर तरफ हाहाकार मच गया था।
भगवान शिव जी माता पार्वती जी की तपस्या से प्रसन्न हुए और वह विवाह के लिए राजी हो गए थे, परंतु जब भगवान शिव जी विवाह के लिए माता पार्वती के यहां पर बरात लेकर पहुंचे तो वहां पर उपस्थित सभी लोग काफी भयभीत हो गए और डर के मारे भागने लगे थे क्योंकि भगवान शिव जी के साथ भूत प्रेत, चुड़ैल साथ आए हुए थे, भगवान शिवजी भस्म में सजे हुए थे और उन्होंने हड्डियों की माला धारण कर रखी थी, जैसे ही बारात दरवाजे पर पहुंची तब माता पार्वती जी ने इस विवाह के लिए मना कर दिया था, भोलेनाथ के इस स्वरूप को देखकर सभी देवता भी आश्चर्यचकित हो गए थे।
देखते ही देखते वहां की स्थिति काफी बिगड़ने लगी थी तब माता पार्वती जी ने भगवान शिव जी की से यह प्रार्थना की थी कि वह उनके रीति-रिवाजों अनुसार तैयार होकर आ जाए, तब भगवान शिव जी ने माता पार्वती की बात मानी और सभी देवताओं को यह संदेश भेजा कि वह खूबसूरत रूप से तैयार हो जाए, तब सभी देवता बहुत ही सुंदर रूप में तैयार होकर वहां पहुंचे थे, तब माता पार्वती जी और भगवान शिव जी का विवाह ब्रह्मा जी की उपस्थिति में आरंभ हुआ था, इन दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई थी और इसके साथ ही इन दोनों का विवाह संपन्न हुआ था।