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पिता के लिए जिंदगी बन गई बेटी, 17 साल की लड़की ने दान किया लीवर का हिस्सा

बीते दिनों देश के पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को उनकी छोटी बेटी रोहिणी आचार्य ने अपनी एक किडनी दान की थी. लंबे समय से लालू स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से जूझ रहे थे. अब लालू की तबीयत में सुधार है. बेटी की किडनी मिलने के चलते लालू को अब शारीरिक समस्या का कम सामना करना पड़ रहा है.

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अब लालू पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं. बता दें कि साल 2022 में जब लालू को उनकी 49 साल की बेटी रोहिणी ने अपनी एक किडनी दान की थी तब रोहिणी की देशभर में खूब चर्चा हुई थी. रोहिणी को देशभर के लोगों ने जमकर सराहा था.

जो लोग बेटियों को कम आंकते है और बेटों को ज्यादा तवज्जों देते है ऐसे लोगों को रोहिणी ने मुंहतोड़ जवाब दिया था. वहीं अब केरल की एक बेटी तो लालू की बेटी रोहिणी से भी एक कदम आगे बढ़ गई. एक 17 साल की लड़की ने तो अपने पिता को अपने लीवर का हिस्सा दान कर दिया.

मामला है केरल के कोच्चि का. यहां एक 17 साल की नाबालिग लड़की देवानंदा के पिता प्रतीश पीजी फैटी लीवर की समस्या से जूझ रहे थे. ऐसे में मासूम ने अपने पिता को अपने लीवर का हिस्सा दे दिया. हालांकि इससे पहले केरल हाईकोर्ट की मंजूरी ली गई. केरल हाईकोर्ट ने इजाजत दी तो बेटी ने अपने पिता को बचाने के लिए अपने लीवर का हिस्सा दान कर दिया.

केरल के कोच्चि के राजागिरी अस्पताल में 9 फरवरी को एक सफल सर्जरी हुई. त्रिशूर जिले की 17 साल की देवानंदा ने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद 20 दिसंबर, 2022 को केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने नाबालिग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि, यह जानकर खुशी हो रही है कि देवानंदा की अथक लड़ाई आखिरकार सफल हो गई.

राजागिरी अस्पताल में सर्जरी मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्विसेज के प्रमुख डॉ. रामचंद्रन नारायण मेनन ने अपनी टीम के साथ की. इस सर्जरी के सफल होने के बाद निदेशक और सीईओ फादर जॉनसन वाझाप्पिल्ली सीएमआई ने 17 वर्षीय लड़की की तारीफ में कहा कि, अंगदान में देवानंदा एक रोल मॉडल हैं.

इसलिए पड़ी लीवर का एक हिस्सा दान करने की जरूरत

देवानंदा के पिता प्रतीश के लीवर में अधिक मात्रा में फैट जमा हो गया था. उनके बचने का एकमात्र जरिया लीवर ट्रांसप्लांट था. जिससे कि क्षतिग्रस्त यकृत को बदला जा सके. ऐसे में देवानंदा का लीवर अपने पिता के लीवर से मैच पाया गया. इसके बाद देवानंदा अपने पिता को लीवर का एक हिस्सा दान करने के लिए तैयार हो गई.

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