अध्यात्म

शिवजी के प्रिय माह सावन में इन बातों का रखें ध्यान, हमेशा बनी रहेगी भोलेबाबा की कृपा

हर किसी व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि उसके ऊपर हमेशा भगवान की कृपा दृष्टि बनी रहे, जिससे जीवन की दुख परेशानियों से लड़ने के लिए व्यक्ति को शक्ति प्राप्त हो, जब किसी देवी देवता का पवित्र दिन या पवित्र महीना आता है तो सभी लोग भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए तरह तरह के उपाय अपनाते हैं और विधि-विधान पूर्वक भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, भगवान शिव जी का प्रिय महीना सावन माना जाता है, सावन का पवित्र महीना 17 जुलाई से आरंभ होने वाला है, इस महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं ताकि भोलेनाथ की कृपा दृष्टि हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहे।

सावन महीने में आने वाले सोमवार सबसे पवित्र माने गए हैं, इस दिन भक्त शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह की चीजों को अर्पित करते हैं और भोले भंडारी की पूजा करके इनको प्रसन्न करते हैं, ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जिनको भोलेनाथ पर अर्पित करना शुभ माना गया है परंतु कई चीजें ऐसी होती है जिनको भूलकर भी अर्पित नहीं करना चाहिए, अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हैं तो इससे आप भगवान शिव जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

आइए जानते हैं किन बातों का ध्यान रखकर मिलेगी भोलेनाथ की कृपा

  • सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप भगवान शिवजी की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल बिल्कुल भी मत कीजिए, शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी कारण से भगवान भोलेनाथ को हल्दी अर्पित करना शुभ नहीं माना गया है।
  • अगर आप भगवान शिव जी की पूजा में शिवलिंग पर कनेर और कमल के फूल या फिर लाल रंग के फूल अर्पित करते हैं तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है, परंतु आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप शिवलिंग पर केतकी और केवड़े के फूल अर्पित ना करें।

  • अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि पूजा पाठ में लाल रोली को बहुत ही शुभ माना जाता है परंतु आप शिव जी को लाल रंग की रोली बिल्कुल भी अर्पित मत कीजिए।
  • भगवान शिव जी की पूजा अर्चना में आप शंख का प्रयोग ना करें क्योंकि शंख भगवान विष्णु जी को बहुत प्रिय है, भगवान शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था, इसी कारण से भगवान शिव जी की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं होता है।
  • आप भगवान शिवजी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल ना करें, इसके पीछे की मुख्य कथा यह है कि असुर राज जालंधर की पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी, भगवान शिव जी ने जालंधर का वध किया था, इसी वजह से वृंदा ने भगवान शिव जी की पूजा में तुलसी को इस्तेमाल नहीं करने की बात कही थी।
  • पूजा पाठ में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन शिवजी की पूजा में नारियल अर्पित करने के पश्चात उसको उपयोग में नहीं लाना चाहिए क्योंकि नारियल को धन की देवी माता लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है बहुत से शुभ कार्य होते हैं जिनमें नारियल को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, लेकिन शिवजी को अर्पित करने के पश्चात नारियल का प्रसाद ग्रहण करना शुभ नहीं माना गया है।

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