2020 में कब है जन्माष्टमी? जानिए शुभ मुहूर्त और इसकी सही पूजा विधि
आप सभी जानते है की जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्णा जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि माता देवकी जी ने अपनी आठवीं संतान को जन्म दिया था, जो श्री कृष्ण जी थे। कृष्णजी भाद्रप्रद कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन पैदा हुए थे। जब इनका जन्म हुआ था, उस समय चन्द्रमा का उदय हो रहा था, साथ ही रोहिणी नक्षत्र भी था। जिसकी वजह से इस दिन को हम सभी लोग कृष्ण जी के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा करने से मनुष्य के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती है और मनुष्य अपना जीवन खुशहाली पूर्वक व्यतीत करता है। अगर आप भी जन्माष्टमी का व्रत करना चाहते हैं तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से 2020 में जन्माष्टमी कब है? जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त। जन्माष्टमी की पूजा विधि से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण जानकारियां देने जा रहे हैं।
12 अगस्त 2020, बुधवार को है जन्माष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त
ज्योतिष गणना के अनुसार देखा जाए तो इस बार जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 12 अगस्त 2020 को रात 12:05 बजे से रात 12:48 बजे तक रहेगा।
जानिए जन्माष्टमी के व्रत और पूजन की विधि
- जन्माष्टमी का यह व्रत अष्टमी के उपवास से पूजा और नवमी के पारणा से व्रत के दिन किया जाता है।
- अगर आप जन्माष्टमी का व्रत कर रहे हैं तो आप एक दिन पहले से ही हल्का और सात्विक भोजन का सेवन कीजिए। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि एक दिन पहले रात्रि को आप स्त्री संग से वंचित रहें और आपको अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रखना होगा।
- आप व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर अपने सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान कर लीजिए और साफ-सुथरे वस्त्रों का धारण करें।
- आप जन्माष्टमी व्रत के दिन अपने हाथ में जल फल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लीजिए और देवकी जी का प्रसूति गृह बनाए।
- आप जन्माष्टमी व्रत पूजन के दौरान देवकी जी और श्री कृष्ण जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। देवकी, वासुदेव, बलदेव, यशोदा, नंद और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए विधि-विधान पूर्वक पूजा कीजिए।
- आखिर में आपको सारा दिन व्रत रहना होगा और रात के समय यानी 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म के पश्चात आप श्री कृष्ण जी को झूला झुलाएं और आप अपने व्रत का पारण कीजिए।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी वाले दिन देश के सभी मंदिरों के अंदर भगवान कृष्ण जी का श्रृंगार किया जाता है। कृष्ण जी के अवतार के उपलक्ष्य में झांकियां भी सजाई जाती है। इस दिन कृष्ण जी का श्रृंगार करके इनको झूला झुलाते हैं। अगर कोई स्त्री या पुरुष जन्माष्टमी का व्रत कर रहा है तो वह रात 12:00 बजे का इंतजार करता है। रात के 12:00 बजते ही शंख और घंटीओं की आवाज हर तरफ गूंजने लगती हैं। 12 बजते ही श्री कृष्ण जी के जन्म की खबर चारों दिशाओं में सुनाई देने लगती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी की आरती और प्रसाद बांटा जाता है। भगवान कृष्ण जी के जन्म पर लोगों के चेहरे पर साफ-साफ खुशी देखने को मिलती है।