जानिए ! महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई और इस मन्त्र का क्या अर्थ हैं और क्या फायदे हैं !
महामृत्युंजय मंत्र को हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता हैं , यह मंत्र ऋग्वेद (मंडल 7, हिम 59) में पाया जाता है! यह मंत्र ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है जो उर्वसी और मित्रवरुण के पुत्र थे !
महामृत्युंजय मन्त्र की उत्पत्ति कैसे हुई –
ऐसा कहा जाता है कि एक बार ऋषि मृकण्डु और उन पत्नी मरुद्मति ने पुत्र की प्राप्ति के लिए तपस्या करने का फैसला किया! उनकी भक्ति से शिव जी बहुत प्रसन्न हो गये, और उन्होंने उन दोनों को दो विकल्प दिए जिसमे से एक विकल्प था की तुम्हारा पुत्र अधिक बुद्धि का होगा परन्तु उसकी आयु कम होगी,और दूसरा विकल्प था की तुम्हारे पुत्र की बद्धि कम होगी और लम्बी आयु होगी ! इनमे से मृकण्डु ने पहले विकल्प का चुनाव किया फिर उन्हें मार्कंडेय नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका जीवन काल मात्र 16 वर्ष था !
जैसे ही मार्कंडेय की आयु की अवधि खत्म होने वाली थी , तब उसके माता पिता को चिंता होने लगी,जब मार्कंडेय को ये बात पता चली की मेरी आयु की अवधि समाप्त होने लगी हैं तब उसने शिवलिंग के सामने तपस्या करना शरू कर दिया ! जब उनका जीवनकाल पूरा हो गया तो यमदूत उन्हें लेने के लिए आये, परन्तु वो तो उसे ले जाने के बजाय वे भी इस तपस्या में शामिल हो गए !
उसके बाद भगवान यम ने स्वंय उसे ले जाने का निर्णय लिया, जब यम मार्कंडेय को लेने आये तो उसने अपनी बाहों को शिवलिंग के चारों ओर लपेटकर भगवान शिव से दया की मांग की, यम ने बहुत कोशिश की वो उसे शिवलिंग से दूर कर सकें परन्तु वो स्वंय ही शिवलिंग पर गिर गये ! इससे भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और शिवलिंग से भगवन शिव प्रकट हो गये और उन्होंने यम को सजा दी और यम को मार दिया ! यम की मृत्यु ने ब्रह्मांड में गंभीर अवरोध उत्पन्न कर दिए, इसलिए भगवान शिव ने उसे इस शर्त पर पुनर्जीवित किया, और कहा की अब ये बच्चा जीवित रहेगा !ऋषि मृकण्ड के पुत्र ऋषि मार्कण्डेय को अमरत्व प्रदान किया, इस कारण इस मन्त्र की उत्पति हुई !
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ –
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्”
हम अपनी तीसरी आंख पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो दो आँखों के पीछे है ! यह हमें आपको महसूस करने की ताकत देती है और इसके द्वारा हम जीवन में खुश, संतुष्ट और शांति महसूस करते हैं ,हम जानते हैं कि अमरता प्राप्त करना संभव नहीं है, लेकिन भगवान शिव अपनी शक्तियों से हमारी मृत्यु के समय को कुछ समय के लिए बढ़ा सकते है।
महामृत्युंजय मंत्र के लाभ –
यदि कोई व्यकी बीमार हो या जिसे मौत का डर हो वो इस मन्त्र का जाप करें या कोई और व्यक्ति भी उस व्यक्ति के लिए इस मंत्र का जाप करता हैं तो यह मन्त्र जरुर काम करता हैं ! यह गायत्री मंत्र को दर्शाता है और इस मन्त्र के जाप से आपकी शक्ति मिलती हैं !