बैजनाथ शिव मंदिर, दर्शन मात्र से ही हो जाती है मनोकामनाएं पूरी

हमारा भारत वर्ष धार्मिक देश है यहां पर तरह-तरह के धर्मों के लोग रहते हैं और सभी अपने अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं भारत में ऐसे बहुत से मंदिर मौजूद हैं जो अपने चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है और बहुत से मंदिर ऐसे हैं जो अपने रहस्य के लिए जाने जाते हैं इन मंदिरों के रहस्य अभी तक किसी को भी नहीं पता है आप सभी लोग तो जानते ही होंगे कि हिमाचल प्रदेश को खूबसूरत वादियों से ढके पहाड़ों और मनमोहक स्थानों के लिए जाना जाता है परंतु बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे जिनको इस बात की जानकारी होगी कि हिमाचल प्रदेश में बहुत सारे ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है ऐसे ही धार्मिक स्थलों में से एक है बैजनाथ शिव मंदिर यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पालमपुर के पास स्थित है।
इस मंदिर के अंदर पूरे साल भारी संख्या में लोग आते रहते हैं और इस स्थान पर विदेशी पर्यटक और तीर्थयात्री भी शामिल है परंतु जब शिवरात्रि का अवसर आता है तब यहां का नजारा देखने लायक होता है यहां के नजारों को देखकर आपका मन बहुत ही उत्साहित हो जाएगा बहुत ही मनमोहक नजारा यहां का दिखाई देता है इस दिन यहां पर बहुत अधिक संख्या में लोग आते हैं और यहां पर भगवान शिव जी के दर्शन करते हैं इस मंदिर के पास में ही एक नदी बहती है जिसे खीर गंगा के नाम से जाना जाता है ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन वहां पर नहाया जाए तो इससे बहुत लाभ प्राप्त होता है।
जब भी कोई श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है तो सबसे पहले वहां पर स्नान अवश्य करता है उसके पश्चात ही भगवान शिव जी के दर्शन के लिए शिवलिंग की ओर आगे बढ़ता है इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और भगवान शिव जी को चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र फूल भांग धतूरा आदि अर्पित किया जाता है यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान शिव जी के सिर्फ दर्शन से ही सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस मंदिर के बारे में एक कहानी बहुत ही प्रचलित है ऐसा बताया जाता है कि त्रेता युग में लंकापति रावण ने भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत पर कठिन तपस्या की थी परंतु काफी समय तक तपस्या करने के बावजूद भी जब भगवान शिव जी रावण से प्रसन्न नहीं हुए तब रावण को बहुत अधिक गुस्सा आया और गुस्से में आकर वह एक एक करके अपने सारे सिर भगवान भोलेनाथ को अर्पित करने लगा जैसे ही रावण अपना आखरी सिर भगवान भोलेनाथ को अर्पित करने वाला था उसी समय भगवान भोलेनाथ वहां पर प्रकट हो गए और रावण से वरदान मांगने को कहने लगे तब रावण ने भगवान भोलेनाथ से कहा कि आप मुझे बहुत ज्यादा बलशाली बना दीजिए और अपने रूप को दो भागों में विभाजित करके शिवलिंग के रूप में मेरे साथ लंका में विराजित हो जाइए।
जब रावण ने भगवान शिव जी से यह वरदान मांगा तो भगवान शिव जी मुस्कुराने लगे और उसको यह वरदान दे दिया परंतु भगवान शिव जी ने रावण के सामने एक शर्त भी रखी थी उन्होंने रावण से कहा कि अगर तुमने लंका जाते समय इन दोनों शिवलिंग को कहीं पर भी नीचे जमीन पर नहीं रखना है अगर तुमने ऐसा किया तो मैं वहीं पर विराजित हो जाऊंगा तब रावण ने शिवजी की शर्त मंजूर की ओर इस बात के लिए राजी हो गया और कहा कि मैं आपकी कही हुई बात को पूरा ध्यान दूंगा इतना कहने के पश्चात भगवान शिव जी वहां से अंतर्ध्यान हो गए हैं भगवान शिव जी के जाते ही वहां पर दो शिवलिंग प्रकट हो गए जिनको रावण ने उठा लिया और अपने साथ लंका ले जाने लगा जब रास्ते में रावण लंका की ओर जा रहा था तो उसे बीच रास्ते में लघुशंका होने का एहसास हुआ तब उसने इधर उधर देखा उसे कोई भी नहीं दिखाई दिया थोड़ी दूर पर उसे एक बालक नजर आया जिसका नाम बैजू था रावण ने उस बालक को सारी बात समझाई और दोनों शिवलिंग को उसके हाथ में दे दिया परंतु भगवान शिव जी की माया की वजह से उस बालक ने उन शिवलिंग को वहीं पर धरती पर रख दिया और अपने पशुओं को चराने लगा इस तरह वह शिवलिंग उसी स्थान पर स्थापित हो गए जिसको आज के समय में बैजनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
वहां के स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि जो भी श्रद्धालु अपनी सच्ची भक्ति और अपने सच्चे मन से इस शिवलिंग के दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है।