एक साधारण लड़की को देखने के लिए स्टेशन पर उमड़ पड़ी भीड़, अंदाज़ था सबसे जुदा
कहते हैं भारत में लड़के और लड़कियों के बीच जमीन आसमान का फर्क रखा जाता है. जहां एक ओर माता-पिता को लड़को को पढ़ा-लिखाकर कुछ बनाना होता है तो वहीं दूसरी ओर अपनी बेटियों की शादी करनी होती है. मिडिल क्लास परिवार के लोग ऐसा ही सोचते हैं और आज भी लोग अपनी बेटियों को उतनी छूट नहीं दे पाते जितनी अपने बेटों को देते हैं. मगर इसी देश में महिलाएं क्रिकेट खेल रही हैं, रेसलिंग कर रही हैं, बैडमिंटन खेल रही हैं और खेल के हर मैदान में बाज़ी अपने हाथ ले रही हैं. 21वीं सदी की महिलाएं पुरुष के साथ कदम से कदम से मिलाकर हर क्षेत्र में फतेह हासिल कर रही हैं. ऐसा ही किया है एमपी की एक लड़की ने जिसने देश का नाम ना सिर्फ रोशन किया है बल्कि यहां लड़कियों के लिए नईं मिसालें कायम की हैं. एक साधारण लड़की को देखने के लिए स्टेशन पर उमड़ पड़ी भीड़, आखिर कौन थी वो लड़की वो भी सेलिब्रिटी नहीं बल्कि आम लड़की ?
एक साधारण लड़की को देखने के लिए स्टेशन पर उमड़ पड़ी भीड़
मध्यप्रदेश के कटनी जिले की चारुसिता चतुर्वेदी ने नेशनल मास्टर्स पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया और इसके साथ ही भारत देश का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया है. इसके साथ ही उनका भारतीय महिला पावर लिफ्टिंग टीम में सिलेक्शन हो गया है. चारुसिता अब इंटरनेशनल लेवल पर भारत का नेतृत्व करेंगी, क्योंकि अब सवाल इस खेल के खिताब जीतने का हो गया है. वर्ल्ड महिला पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता साल 2018 यानि इसी साल अक्टूबर में मंगोलिया में होने वाली है. चारुसिता ने 28 जुलाई को केरल के कोझिकोड में खत्म हुई नेशनल मास्टर्स पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप-2018 के फाइनल में फोटो फिनिश रिजल्ट के बाद सिल्वर मेडल हासिल किया और ये टूर्नामेंट केरल के कोझिकोड में 26 से 29 जुलाई तक खेला गया था.
पावर लिफ्टिंग के तीन प्रारूप डेड लिफ्ट, स्क्वाट, बेंच प्रेस में कुल मिलाकर 350 किलोग्राम के लगभग भार उठाया जिस वजन को आज तक किसी ने नहीं उठाया यानि ये अब तक का सर्वोच्च वजन था, लेकिन फोटो फिनिश में टेक्निकली गोल्ड मेडल से वे चूक गईं. इसके पहले चारुसिता ने प्रादेशिक पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीता था और मध्यप्रदेश की टीम में अपना स्थान जमाया था. इसी आधार पर कोझिकोड में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता के फाइनल में चालीस साल उम्र के वर्ग में मध्यप्रदेश का निधित्व करने का अवसर मिला. उन्होने अपने इस मुकाम की प्रेरणा अपने पिता सत्यदेव चतुर्वेदी को बताया है और खुद के सिलेक्ट होने पर चारुसिता ने अपने प्रदेश के गौरव को बढाया है. लगभग 40 साल की उम्र वाली चारुसिता एक कारोबारी और समाज सेवक सियाराम तिवारी की पत्नी हैं, जिनका उन्हें हमेशा सहयोग मिला. शादी के बाद उन्होंने पिता के साथ जिम की प्रैक्टिस की और वजन उठाने की प्रैक्टिस देखकर उनके कोच अभिनाश दुबे ने उन्हें वेट लिफ्टिंग का प्रशिक्षण दिया. उस कड़ी मेहनत के दम पर आज वे राष्ट्रीय खिलाडी बन गईं.