बॉलीवुड

पिता करते थे नफरत, बेटे ने 23 साल में जीते 155 अवॉर्ड्स, ऐसी है इंदौर के डांसिंग कॉप की कहानी

अपनी लाजवाब डांसिंग स्किल्स से लोगों का ध्यान खींचने वाले इंदौर के मशहूर डांसिंग कॉप रंजीत सिंह एक बार फिर बड़ी तेजी से चर्चा में है। गौरतलब है कि, पिछले दिनों डांसिंग कॉप रंजीत सिंह का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। उन्हें यह सम्मान कोरोना वायरस सेवा के लिए मिला है।

बता दे 23 साल की नौकरी में रंजीत सिंह को अब तक करीब 155 से भी ज्यादा अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। रंजीत सिंह रोजाना सुबह इंदौर के हाई कोर्ट चौराहे पर अपने डांस से ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं और उनका यही अंदाज लोगों को खूब पसंद आता है। अब उन्हें एक बार फिर 3 जून को दिल्ली में केरल के राज्यपाल के हाथों गौरव अवार्ड मिला जिसकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से चर्चा में है। आइए जानते हैं रंजीत सिंह की कहानी के बारे में..

dancing cop ranjeet

dancing cop ranjeet

बेटा कहने में शर्म महसूस करते थे रंजीत के पिता
बता दें, रंजीत के डांस से ट्रैफिक कंट्रोल करने की शुरुआत तब हुई जब उनकी पहली ड्यूटी हुकुमचंद घंटाघर पर लगी थी। एक इंटरव्यू के दौरान रंजीत सिंह ने बताया था कि, एक दिन भीख मांगने वाला बच्चा उन्हें करीब लगातार 4 घंटे तक इसी तरह देखता रहा। इस दौरान बच्चे ने रंजीत सिंह से कहा था कि, “मैं आपका डांस देखने में सब भूल गया। तब रंजीत को लगा कि अगर मैं एक बच्चे की भूख कंट्रोल कर सकता हूं, तो फिर ट्रैफिक भी कंट्रोल हो ही जाएगा।”

रंजीत सिंह ने 4 जून 1999 को क्राइम ब्रांच से अपनी नौकरी की शुरुआत की थी। उनका नाम उस दौरान काफी चर्चा में रहा था तब तेज बारिश के दौरान प्रेग्नेंट महिला का ऑटो पलट गया था और रंजीत ने इस महिला की मदद करने के लिए अपनी जान लगा दी थी और महिला को सुरक्षित हॉस्पिटल पहुंचाया था। इसके बाद उन्हें ‘प्राइड ऑफ इंदौर’ का इनाम मिला था। बता दें, रंजीत सिंह देश के कई राज्यों में ट्रैफिक पुलिसवालों को ट्रेनिंग भी दे चुके हैं। हाल में वह ट्रेनिंग देने के लिए लद्दाख गए थे, जहां उनका काम देखकर सभी ने उनकी बहुत तारीफ की।

dancing cop ranjeet

कहा जाता है कि, रंजीत के पिता उनसे खुश नहीं थे। इसके बारे में खुद रंजीत सिंह ने बताया। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, “हम चार भाई हैं। परिवार में बड़ा बेटा होने के कारण माता-पिता को मुझसे काफी उम्मीदें थीं। पिता शिवजी सिंह पेटलावद में थाना प्रभारी के पद से रिटायर हुए हैं। मेरी पढ़ाई में रुचि नहीं थी। कई बार पिता डांटते हुए कहते थे, मुझे शर्म आती है कि तू मेरा बेटा है। समय बीता और 4 जून 1999 में मैंने क्राइम ब्रांच से नौकरी की शुरुआत की।

वर्ष 2004 में तेज बारिश के दौरान पलासिया में एक प्रेग्नेंट महिला का ऑटो पलट गया। उसे समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए पहला इनाम मिला। ये इनाम था ‘प्राइड ऑफ इंदौर’ जिसे तत्कालीन एसपी मधुकुमार बाबू ने दिया था। यहीं से पिता को मुझ पर गर्व महसूस होने लगा। अब तो वे मेरी तारीफ करते थकते नहीं हैं।”

dancing cop ranjeet

अब तक डांसिंग कॉप ने हासिल किए 155 अवॉर्ड्स
बता दें, अब तक रंजीत सिंह को अपने करियर में करीब 155 अलग-अलग तरह के इनाम मिल चुके हैं। रंजीत सिंह कई सालों से इंदौर के हाई कोर्ट चौराहे पर ट्रैफिक संभाल रहे हैं। साल 2015 में इंदौर हाईकोर्ट के फैसले में उच्च न्यायाधीश ने रणजीत सिंह का भी उदाहरण दिया था जो काफी चर्चा में रहा था।

उन्होंने एक उदाहरण पेश करते हुए कहा था कि, “यदि अपने कर्तव्य का पालन करना हो तो चौराहे पर खड़े हुए यातायात जवान को देखो। यहीं से डांसिंग कॉप रंजीत सिंह चर्चा में आए।” रणजीत सिंह ने बताया कि डांस करते हुए ट्रैफिक संभालना काफी मुश्किल भरा काम होता है। इसके लिए घंटों डांस स्टेप करने पड़ते हैं और उनके जूते भी घिस जाते हैं जिसके कारण हर महीने उन्हें करीब 1500 रुपए जूते पर ही खर्च करने होते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button