इस चमत्कारिक मंदिर में स्वयं प्रकट हुए थे शनिदेव, दर्शन मात्र से शनि प्रकोप हो जाते हैं दूर
शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव का विशेष दिन माना गया है। इस दिन लोग शनि देव की पूजा-अर्चना करके अपने जीवन के दुख परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो शनि मंदिरों में जाकर शनिदेव को तेल अर्पित करके विधि-विधान पूर्वक इनकी पूजा करते हैं। वैसे देखा जाए तो भगवान शिव जी के शिष्य और सूर्य देवता के पुत्र शनि देव के मंदिर देशभर में कई है। अक्सर देखा गया है कि लोगों के मन में शनि देव को लेकर भय का वातावरण बना रहता है, लेकिन शनिदेव कर्मों के अनुसार ही मनुष्य को फल प्रदान करते हैं, इसलिए इनको कर्म फल दाता भी कहा जाता है।
हमारे देश भर में शनि देव के बहुत से प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर मौजूद है। इन मंदिरों के प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। श्रद्धा और आस्था के चलते ही इन मंदिरों में लोग शनिदेव की पूजा-अर्चना और दर्शन करते हैं। आज हम आपको शनिदेव के एक ऐसे चमत्कारिक और प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिसके बारे में बताया जाता है कि इस जगह पर शनिदेव स्वयं प्रकट हुए थे। इतना ही नहीं बल्कि शनिदेव के इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से ही शनि प्रकोप दूर हो जाते हैं। यहां पर जो शनिदेव की प्रतिमा है वह एक बार खुद ब खुद अपना स्थान बदल चुकी है।
आप सभी लोगों ने शनिदेव के बहुत से मंदिरों के बारे में सुना या फिर दर्शन करने के लिए गए होंगे, लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित शनिदेव के एक प्राचीन वह चमत्कारिक मंदिर के बारे में बताने वाले हैं। यह मंदिर जुनी इंदौर में बना हुआ है, इसके बारे में एक कथा भी बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के स्थान पर करीब 300 वर्ष पहले 20 फीट ऊंचा टीला हुआ करता था और यहां पर मंदिर के पुजारी के पूर्वज आकर ठहरे हुए थे। एक रात पंडित के सपने में शनि देव ने दर्शन देकर उनको यह कहा था कि टीले के अंदर उनकी एक प्रतिमा दबी हुई है और इस प्रतिमा को खोदने का आदेश शनिदेव ने पंडित को दिया था। आपको बता दें कि पंडित दृष्टिहीन था, जिसकी वजह से यह काम नहीं कर सकता था। तब शनिदेव ने पंडित से कहा था कि अब तुम अपनी आंखे खोलो, तुम सब कुछ देख सकते हो।
जब पंडित ने अपनी आंखें खोली तो उसको सब कुछ दिखाई देने लगा, इसके बाद पंडित ने टीले को खोदना आरंभ किया। जब गांव वालों को इस चमत्कार के बारे में पता चला तो वह भी पंडित की सहायता करने लगे। खुदाई के दौरान वहां से शनि देव की एक प्रतिमा निकली थी जिसको निकाल कर स्थापना की गई थी। आज भी इस मंदिर में वही मूर्ति स्थापित है। एक अन्य कथा के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि शनिदेव की प्रतिमा पहले भगवान श्री राम जी की प्रतिमा के स्थान पर थी, लेकिन एक शनिचरी अमावस्या पर इस प्रतिमा ने अपना स्थान खुद बदल लिया।
शनि देव के इस प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर के अंदर भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। शनि जयंती पर इस मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। लोग यहां पर शनिदेव की पूजा-अर्चना करके अपने जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।