भारत ने इजराइल से रद्द की 35 हजार करोड़ की डील, अब यहीं बनेगी ये मिसाइल
आपने कई जगह सुना होगा कि ये नया भारत है और आने वाले समय में दुनिया के टॉप-5 शक्तिशाली देशों में भारत का आएगा. मोदी सरकार इससे जुड़े कई काम शुरु कर चुकी है और इसका एक उदाहरण एक बार फिर सामने आया. ऐसी खबर आई है कि अब कुछ खतरनाक मसाइलें भारत में ही बनेंगी और इसका फायदा भारत को इस रूप में मिलेगा कि दूसरे देश का कर्जा नहीं रहेगा और इससे हमारा देश एक और भी ताकतवर बन सकता है. भारत ने इजराइल से रद्द की 35 हजार करोड़ की डील, ऐसा करने के बाद अब भारत क्या करेगा चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ डिटेल.
भारत ने इजराइल से रद्द की 35 हजार करोड़ की डील
भारत ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के एक वादे पर इजरायल के साथ डील रद्द की. डीआरडीओ ने बताया कि वे दो सालों के अंदर ठीक इसी तरह की एंटी-टैंक मिसाइल बनाकर सबके सामने पेश करेगा. भारत ने इजरायल से 35 हजार करोड़ की डील की रद्द की है और अब इसका काम घर में ही यानी भारत में ही बनेगा इस.धाकड़ मिसाइल को डीआरडीओ ने दो साल मे बनाने का दावा किया है जो मुश्किल तो है लेकन शायद नामुमकिन नहीं. भारत ने इजरायल के साथ की गई 500 मिलियन डॉलर यानी करीब 35 हजार करोड़ की एक हथियारों की डील रद्द की है. भारत ने इजरायल से स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइलों को खरीदने की एक डील के बारे में सोचा था लेकिन भारत ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के एक वादे को पूरा करते हुए इस डील को रद्द किया है और अब इसे दो सालों में ठीक इसी तरह की एंटी-टैंक मिसाइल बनाने का प्रेशर हो गया है. इजरायल के साथ किए गए समझौते में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक, इजरायल को इस डील के रद्द किए जाने की सूचना दे दी गई है और असल में डीआरडीओ ने वीईएम टेक्नोलॉजी लिमिटेड के साथ मिलकर बिल्कुल वैसी ही मिसाइल बनाने के बारे में जिक्र करते हुए इसका दावा किया है कि ये बन जाएगी, जबकि डीआरडीओ ने मिसाइल को विकसित करने में इजरायल की तुलना में कम पैसे की मांग की है. ऐसे में भारत डीआरडीओ के साथ जाकर काम करेगा. सरकारी अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत की घरेलू रक्षा हथियारों को विकसित करने वाले डीआरडीओ ने मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) बनाने की ओर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और डीआरडीओ इससे संबंधित कई परीक्षण भी कर चुका है. फिर भी डीआरडीओ ने दावा किया है कि पिछले साल सितंबर में ही इस मिसाइल को लेकर एक सफल परीक्षण अहमदनगर में कर चुके हैं.
सेना अध्यक्ष ने की डीआरडीओ से मुलाकात
डीआरडीओ से मिली जानकारी के अनुसार इस मिसाइल को लेकर भारतीय सेना के आला अधिकारियों और डीआरडीओ की मीटिंग भी हो गई है और यहां तक कि डीआरडीओ ने सेना को मिसाइल देने को लेकर एक तय तारीख भी बताई है. इसके साथ ही सेना से इससे संबंधित सभी जानकारियों को साझा करते हुए सेना ने रक्षा संबंधित बातों को समझ लिया है. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक-इन-इंडिया पहल को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है. रक्षा मंत्रालय के एक खास सूत्र ने बताया है कि आने वाले दिनों में भारत लगातार दूसरों से रक्षा सामाग्रियां आयात करने के बजाए खुद अपने देश में ऐसे मिसाइल और टैंक बनाने पर ध्यान देगी.