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पति की मौत के बाद तन्हा हो गई थी जिंदगी, ससुर ने बेटी की तरह किया विधवा बहू का विवाह – Pics

एक जमाना था जब समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति काफी खराब हुआ करती थी। उनकी दूसरी शादी को समाज में पाप माना जाता था। लेकिन अब धीरे-धीरे समाज और उनकी सोच बदल रही है। लोग विधवा महिलाओं की शादी भी करवा रहे हैं। इससे उन्हें नया जीवन मिल रहा है। इसका ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश के बैतूल शहर में देखने को मिला है।

ससुर ने करवाई विधवा बहू की शादी

दीप्ति वर्मा फैजपुर जलगांव की रहने वाली है। कोरोना महामारी के दौर में उनके पति का देहांत हो गया था। इससे वह काफी दुखी और अकेली पड़ गई थी। बहू का यह दर्द ससुराल वालों से देखा नहीं गया। ऐसे में उन्होंने उसका दूसरा विवाह संपन्न कराया। दीप्ति के काका ससुर सुभाष वर्मा ने इस पहल को आगे बढ़ाया और बहू का कन्यादान किया।

दीप्ति की शादी समाज के ही युवक पथरोटा (इटारसी) निवासी चिरंजीवी अनिश पटेल से हुई। अनीस ने भी कोरोना महामारी में अपनी पत्नी को खो दिया था। अनीश और दीप्ति का विवाह बीते रविवार रुक्मणी बालाजी मंदिर बालाजीपुरम बैतूल बाजार में संपन्न हुआ।

दीप्ति वर्मा कुर्मी क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखती हैं। इस समाज में विधवा विवाह शुरू से निषेध माना गया है। हालांकि दीप्ति के ससुराल वालों ने बहू की खुशी के लिए समाज की इस कुप्रथा को तोड़ा है। उन्होंने बहू को घर से बेटी की तरह विदा किया है।

तोड़ी समाज की कुरीति

कुर्मी क्षत्रिय समाज बैतूल भी इस कुरीति के खिलाफ खड़ा हुआ। और इस तरह समाज के लोग इस नए दौर के साक्षी बने। इस दौरान नवविवाहित जोड़े ने भगवान रुक्मणी बालाजी का आशीर्वाद लिया।

विवाह के दौरान राजेश वर्मा, अशोक चौधरी, दिलिप चौधरी ने वर वधू को भगवान रुक्मणी बालाजी की फ्रेमिंग फोटो दी। साथ ही कपाल ने इस नेक काम के लिए रुक्मणी बालाजी मंदिर बालाजीपुरम बैतूल बाजार का धन्यवाद किया। इस पर रुक्मणी बालाजी मंदिर ने कहा की वह ऐसे नेक कामों के लिए हमेशा आगे रहेगा।

दीप्ति वर्मा की शादी में अशोक वर्मा एडवोकेट जिलाध्यक्ष मप्र कुर्मी क्षत्रिय समाज बैतूल के, जिला उपाध्यक्ष विवेक वर्मा, जिला उपाध्यक्ष अमित मेहतो, जिला सचिव हरिश वर्मा और बैतूल बाजार इकाई के अध्यक्ष अनिल वर्मा समेत समाज के अन्य लोग मौजूद रहे।

बताते चलें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब ससुरलवालों ने बहू की दूसरी शादी करवाई हो। इसके पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। कुछ ने तो बहू को घर से दूर न भेजने के लिए उसके देवर से भी शादी करवाई। उम्मीद है कि आप लोग भी ऐसी पॉजिटिव सोच रखेंगे और विधवा बहू की दूसरी शादी कर उसका घर बसाने से पीछे नहीं हटेंगे।

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