5 सालों से पिता संग जेल में रह रही थी बच्ची, कलेक्टर साहब ने किया कुछ ऐसा कि बदल गई जिंदगी
आज इस दुनियां में कई ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ना चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं और अपने जीवन को बदलना चाहते हैं. लेकिन उन बच्चों के हालात ही कुछ ऐसे होते हैं कि वे ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाते या सही सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में यदि हम आम नागरिक मुसीबत में फंसे इन बच्चों की मदद करे और उन्हें एक सही मार्गदर्शन दे तो उनकी बर्बाद होती जिंदगी भी आबाद हो सकती हैं. ऐसा ही एक नेक काम छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक IAS ने कर दिखाया. उसने जेल में रह रही बच्ची के लिए कुछ ऐसा काम किया कि उसकी जिंदगी ही बदल गई. आइए इस मामले को और विस्तार से जानते हैं.
आशा (परिवर्तित नाम) जब सिर्फ 6 महीने की थी तभी से जेल की सलाखों के पीछे अपना जीवन गुजार रही थी. अब आप सोच रहे होंगे कि ये छह महीने की बच्ची ने कौन सा अपराध किया जो उसे जेल में रहना पड़ रहा हैं. दरअसल ये अपराध उसने नहीं बल्कि उसके पिता ने किया था. हुआ ये कि जब आशा का जन्म हुआ तो उसकी माँ गुजर गई थी. इसके बाद उसके पिता को एक अपराध के चलते जेल जाना पड़ गया. चुकी आशा को देखने वाला और कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था इसलिए आशा को भी अपने पिता के साथ जेल में रहने दिया गया. यहाँ उसकी देख रेख की जिम्मेदारी जेल प्रशासन ने महिला कैदियों को दी. इस तरह छोटी सी आशा जेल में ही पलने और बढ़ी होने लगी.
वर्तमान में आशा 6 साल की हो गई हैं. उसे जेल के ही प्लेस्कूल में पढ़ाया लिखाया जा रहा था. हालाँकि बच्ची के अंदर पढ़ाई लिखाई को लेकर एक विशेष लगन थी. इस बीच जब एक दिन बिलासपुर के कलेक्टर डॉ. संजय अलंग जेल का निरिक्षण करने आए तो उनकी मुलाकात 6 साल की आशा से हुई. ऐसे में जब कलेक्टर साहब ने बच्ची से सवाल किया कि वो क्या करना चाहती हैं तो बच्ची ने मासूमियत से कहा कि वो जेल से बाहर निकल स्कूल जाना चाहती हैं और पढ़ना लिखना चाहती हैं. बच्ची का ये जवाब कलेक्टर साहब के दिल में उतर गया. बस फिर क्या था उन्होंने तुरंत बच्ची के एडमिशन का इंतजाम वहां के एक अच्छे स्कूल में करवा दिया. इतना ही नहीं उन्होंने उसी स्कूल के हॉस्टल में उसके रुकने की व्यवस्था भी कर दी. उनकी इस नेक पहल में सिटी के लायंस क्लब ने भी साथ दिया.
बता दे कि आईएएस डॉ. संजय अलंग को भी पढ़ने लिखने का बहुत शौक हैं. वे एक साहित्यकार भी हैं. उन्होंने कुछ किताबें भी लिख रखी हैं. अपनी किताबों और कविताओं के लिए उन्हें ‘राष्ट्रकवि दिनकर सम्मान,’ ‘भारत गौरव सम्मान,’ ‘सेवा शिखर सम्मान,’ से भी नवाजा जा चुका हैं. जब कलेक्टर साहब से बच्ची की मदद के काम के बारे में पूछा गया तो वे बोले कि “किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में एक पॉजिटिव चेंज आना संभव हैं. इसके लिए हमें मदद के लिए आगे आना चाहिए. किसी भी बच्चे का आप बैकग्राउंड ना देखे और उसे जीवन में आगे बढ़ने का पूर्ण अवसर प्रदान करे. हमारी एक छोटी सी कोशिश किसी बच्चे को एक बेहतर कल दे सकती हैं.