कंप्यूटर बना मनीष सिसोदिया का दुश्मन,CBI ने ऐसे हासिल किए सारे सुराग, बुरे फंसे उपमुख्यमंत्री
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया पर इस समय मुसीबतों का पहाड़ टूटा हुआ है। वह वर्तमान में CBI की हिरासत में है। उन्हें कथित आबकारी घोटाला केस में गिरफ्तार किया गया है। उन्हें गिरफ्तार करने से पहले CBI ने चतुराई से मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत और गवाह रेडी कर लिए थे। इसमें एक कंप्यूटर CBI के लिए सबसे ज्यादा मददगार साबित हुआ।
कंप्यूटर से मिले अहम सुराग
इस कंप्यूटर से CBI को कुछ ऐसे सुराग मिले जिसके चलते मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक मजबूत केस रेडी हो सका। 19 अगस्त को एजेंसी ने जांच के वक्त एक्साइज विभाग से एक डिजिटल डिवाइस जब्त किया था। इसकी जांच करते हुए सीबीआई ने एक्साइज पॉलिसी ड्राफ्ट दस्तावेजों में से एक को एक अलग सिस्टम में ट्रेस किया। यह सिस्टम एक्साइज डिपार्टमेंट नेटवर्क पार्ट नहीं था।
दरअसल सीबीआई जब आबकारी विभाग के एक अधिकारी से पूछताछ कर रही थी तो उन्हें सिसोदिया के ऑफिस में मौजूद इस कंप्यूटर का सुराग मिला था। इसके बाद सीबीआई ने 14 जनवरी को यह कंप्यूटर सिसोदिया के ऑफिस से अपने कब्जे में ले लिया था। सीबीआई ने जांच में पाया कि इस कंप्यूटर में ज्यादातर फाइलों को पहले ही डिलीट कर दिया गया था। लेकिन सीबीआई ने फोरेंसिक टीम के माध्यम से हटाई गई फ़ाइलों को पुनः प्राप्त कर लिया।
सिसोदिया के सचिव से मिली अहम जानकारी
फोरेंसिक जांच की माने तो यह फ़ाइल बाहर से आई थी। इसे व्हाट्सएप के जरिए भेजा गया था। उस दौरान सीबीआई ने 1996 बैच के दानिक्स अधिकारी से पूछताछ की थी। वे तब उस फाइल पर पूछताछ हेतु सिसोदिया के सचिव थे। इस अधिकारी ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह सिसोदिया ही थे जिन्होंने मुझे अरविंद केजरीवाल के निवास स्थल पर बुलाया था। यहां मार्च 2021 के बीच सत्येंद्र जैन भी उपस्थित थे। उन्होंने मुझे जीओएम रिपोर्ट की कॉपी दी थी।
बताते चलें कि इस GoM की प्रति में ‘12% लाभ मार्जिन शर्त’ शामिल की गई थी। हालांकि 12% लाभ मार्जिन की शर्त किस आधार पर तय की गई इस बारे में कोई भी चर्चा या फ़ाइल का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इसके बाद सीबीआई ने फरवरी के पहले हफ्ते CRPC एक्ट 164 के अंतर्गत एक मजिस्ट्रेट के सामने इस अधिकारी का बयान दर्ज किया। इस तरह वह अभियोजन पक्ष का गवाह बन गया।
और इस तरह सीबीआई सिसोदिया के ऑफिस से जमा किए गए सबूतों और उनके सचिव के बयान के आधार पर मनीष सिसोदिया तक पहुंची। लेकिन सिसोदिया ने सीबीआई पूछताछ में जीओएम की उस मसौदे की प्रति के बारे में कुछ भी जानकारी देने से मना कर दिया। सीबीआई का आरोप है कि सिसोदिया जांच में मदद नहीं कर रहे हैं। वह किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दे रहे हैं।
अब देखना ये होगा कि आगे सीबीआई इस केस की और कितने परतें खोलती हैं। शायद इसमें और भी कई गहरे राज सामने आ जाएं।