क्यों वर्जित है मक्का मदीना में ‘गैर-मुस्लिमों’ का प्रवेश? जानिए ऐसा सच जो आपको नहीं पता होगा
मक्का मदीना के बारे में हर कोई जानता होगा। अगर कोई नहीं जानता तो नाम तो जरुर ही सुना होगा। आज हम आपको मक्का मदीना का सच और इतिहास बताने जा रहे हैं। इससे पहले की हम मक्का मदीना के बारे में जानें। आइये आपको बता देते हैं कि यह कहां स्थित है। मक्का शहर सऊदी अरब के ऐतिहासिक हेजाज़ क्षेत्र में स्थित है। मक्का को इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। इसी जगह पर काबा व सबसे प्रसिद्ध एवं बड़ी मस्जिद मस्जिद-अल-हरम भी स्थित है। मक्का में ही पैगम्बर मुहम्मद जी का जन्म हुआ था और यही से पहली बार पैगम्बर मुहम्मद ने कुरान की शुरुआत भी की गई थी।
क्यों पवित्र माना जाता है मक्का मदीना?
मक्का मदीना के बारे में सरल शब्दों में कहे तो यही से इस्लाम का जन्म हुआ था। इसी वजह से मक्का और मदीना को मुस्लिमों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है। मक्का में ही पवित्र मस्जिद काबा स्थित है। काबा की परिक्रमा करके हर मुसलमान खुद को धन्य मानता है। यहां आकर ही किसी मुस्लिम की हज यात्रा पूरी मानी जाती है। आपको हैरानी होगी की मक्का में गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। मक्का के जेद्दाह नगर वाले मार्ग पर साफ शब्दों में लिखा हुआ है कि यहां मुसलमानों के अतिरिक्त किसी भी धर्म के व्यक्ति प्रवेश वर्जित है। आइये अब आपको मक्का मदीना का सच और इतिहास बता देते हैं।
‘गैर-मुस्लिमों’ का प्रवेश क्यों है प्रतिबंधित?
गैर मुस्लिमों का प्रवेश मक्का में वर्जित है। यहां साफ शब्दों में लिखा हुआ है कि “यहां काफिरों’ का प्रवेश प्रतिबंधित है। यहां आपको बता दें कि ज्यादातर लोग “काफिर’ शब्द का मतलब हिन्दु समझते है। लेकिन, यह गलत है। काफिर शब्द का मतलब मुस्लिक छोड़कर बाकी सारे धर्मों के लोगों से है। इसमें ईसाई, यहूदी, पारसी और बौद्ध भी शामिल है। इनका प्रवेश भी इस स्थान पर वर्जित है।
क्या मक्का मक्केश्वर महादेव का मंदिर था?
आपको ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे जो ये दावा करते हैं कि मक्का पहले मक्केश्वर महादेव का मंदिर हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि मक्का में काले पत्थर का विशाल शिवलिंग हुआ करता था जो खंडित अवस्था में अब भी वहां रखा हुआ है। हज के समय मुसलमान उसे ही पूजते और चूमते हैं। लेकिन, इस बात की सच्चाई अभी तक सामने नहीं आ सकी है। मक्का मदीना का सच और इतिहास अभी तक पूरी तरह से दुनिया के सामने नहीं आ सका है।
काबा क्या हैं?
काबा मक्का में स्थित एक पवित्र ईमारत है। इसी वजह से दुनिया भर के मुसलमान जब भी नामाज पढ़ते हैं तो उनका मुंह काबा की ओर ही होता है। बताया जाता है कि काबा नाम की ये इमारत एक हज़ार चार सौ साल पुरानी हैं। लेकिन, इस्लाम में इसे इब्राहीम लोदी के समय का बताया जाता है। काबा ग्रेफाइट के पत्थर के पत्थर से बनी है। हज यात्री काबा का चक्कर लगाकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं। इस दौरान मुस्लिम लोग काबा के पत्थर को चूमते हैं। मुस्लिम धर्म में ऐसी मान्यता है कि हर मुसलमान को दिन में 5 बार काबा की तरफ मुंह करके पूजा करनी चाहिए। मुस्लिम लोग अपने पापों से मुक्ति पाने के लिये जीवन में एक बार मक्का जरूर जाते हैं।