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आरक्षण की मांग के सामने नहीं झुकी गुजरात सरकार, खत्म करना पड़ा हार्दिक पटेल को अपना उपवास

पटेल आंदोलन से अस्तित्व में आएं हार्दिक पटेल इन दिनों भूख हड़ताल को लेकर चर्चा में छाएं हुए हैं। जी हां, हार्दिक पटेल ने पिछले 19 दिनों से जारी भूख हड़ताल को बुधवार को खत्म कर दिया। हार्दिक पटेल ने जिस जोर शोर से इस हड़ताल की शुरूआत की थी, वो आखिरी तक उतनी ही फीकी पड़ती हुई नज़र आई। हार्दिक ने उपवास ज़रूर खत्म कर दिया है, लेकिन सरकार से अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। पटेल आरक्षण को लेकर लगातार सुर्खियों में छाए रहने वाले हार्दिक पटेल समय समय पर आरक्षण के मुद्दे को उठाते रहते हैं। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

पाटीदार समुदाय को आरक्षण और किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे हार्दिक पटेल ने बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि किसानों एवं समाज की कुलदेवी श्री उमिया माताजी मंदिर-उंझा और श्री खोड़ल माताजी मंदिर-क़ागवड के प्रमुख लोगों ने मुझे कहा कि तुम्हें ज़िंदा रहकर लड़ाई लड़नी हैं, इसलिए सबका सम्मान करते हुए मैं अपने उपवास को खत्म कर रहा हूं, लेकिन आरक्षण और किसानों की कर्जमाफी को लेकर सरकार के खिलाफ हमारी आगे तक जारी रहेगी।

पाटीदार समुदाय के नेताओं के हाथ नींबू पानी पीकर हार्दिक पटेल ने अपना उपवास खत्म किया। उपवास खत्म करने  के बाद हार्दिक ने कहा कि मैेंने हार नहीं मानी है, मैं आगे भी सामाजिक हित के लिए लड़ाई करता रहूंगा। दरअसल, बीते कुछ सालों से पाटीदार समुदाय को आरक्षण देने की मांग उठ रही है, लेकिन सरकार बार बार इस मुद्दे पर सिर्फ दिलासा देने का काम करती है। पाटीदार समुदाय को आरक्षण देने का मामला गुजरात चुनाव में भी तुल पकड़ा था, जिसकी वजह से हार्दिक ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस जीत नहीं पाई औऱ एक बार फिर से पटेल आरक्षण का मुद्दा बीच मझदार में लटका हुआ है।

याद दिला दें कि हार्दिक पटेल ने 25 अगस्त को पाटीदार समुदाय को आरक्षण और किसानों की कर्जमाफी को लेकर उपवास पर बैठे थे, जिसकी वजह से उन्हें बीते शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद वो ठीक हो गये थे और फिर से हड़ताल पर बैठ गये थे। अपनी तरफ से पूरी कोशिश करने के बाद जब हार्दिक को लगा कि वे इस बार सरकार का झुकाने में सफल नहीं हो पाएंगे, तो उन्होंने आज यानि बुधवार को अपना अनशन खत्म करने का फैसला किया।

 

बहरहाल, अब देखने वाली बात यह होगी कि हार्दिक पटेल सरकार को किस तरह से पटेल आरक्षण के लिए राजी करते हैं, क्योंकि हार्दिक के कंधों पर पाटीदार समुदाय की पूरी जिम्मेदारी लटकी हुई है। ऐसे में हार्दिक अब निश्चित तौर पर गुजरात सरकार को आरक्षण के लिए मनाने के लिए नया हथकंडा अपनाते हुए नज़र आ सकते हैं।

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