अध्यात्म

शत्रु की आधी शक्ति खींच लेता था बाली, लेकिन जब हनुमानजी से हुआ इसका सामना, जानिए पूरी कथा

शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो संकट मोचन हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली देवता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने अपनी शक्तियों से दुष्टों को सबक सिखाया है। इनकी शक्तियों के आगे अच्छे से अच्छे नहीं टिक सकते। समय आने पर इन्होंने अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करके समस्या का समाधान किया है। रामायण के अनुसार देखा जाए तो एक बार महाबली हनुमान जी का शत्रु की आधी शक्ति खींचने वाले बाली से आमना-सामना हो गया था। बाली को अपनी शक्तियों पर बहुत अधिक घमंड था। वह यही सोचता था कि उसको इस दुनिया में कोई भी हरा नहीं सकता है। बाली का कोई भी सामना नहीं कर सकता। लेकिन बाली के इस घमंड को राम भक्त हनुमान जी ने चूर-चूर कर दिया था। आज हम आपको हनुमानजी और बाली के युद्ध की कथा बताने जा रहे हैं।

बाली की शक्तियों का यह था राज

बाली बहुत शक्तिशाली माना जाता था। आपको बता दें कि बाली सुग्रीव का भाई. अंगद का पिता। अप्सरा तारा का पति और वानरश्रेष्ठ ऋक्ष का पुत्र है। जब बाली किसी से भी युद्ध करता था तो वह अपने शत्रु की आधी शक्ति खींच लेता था। चाहे शत्रु कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो, बाली के सामने वह कमजोर हो जाता था, जिसकी वजह से बाली अपने शत्रु को मार गिराता था। रामायण के अनुसार देखा जाए तो बाली को उसके धर्म पिता इंद्र से एक स्वर्ण हार प्राप्त हुआ था। इसी हार की शक्ति के कारण बाली लगभग अजेय था। बाली ने बहुत से युद्ध लड़े और सभी में इसको विजय हासिल हुई थी। ब्रह्मा जी ने बाली को स्वर्ण हार मंत्रयुक्त करके दिया था। जब बाली इस हार को पहनकर रणभूमि में अपने शत्रु के सामने जाता था तो शत्रु की आधी शक्ति नष्ट हो जाती थी। शत्रु की आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाती थी, जिसकी वजह से बाली शक्तिशाली बन जाता था।

भगवान श्रीराम भी बाली के सामने नहीं आए

एक गलतफहमी की वजह से बाली के मन में सुग्रीव के प्रति नफरत पैदा हो गई थी जिसकी वजह से बाली ने अपने भाई सुग्रीव की पत्नी को हड़प कर बलपूर्वक उसको राज्य से बाहर निकाल दिया था। तब सुग्रीव हनुमान जी के पास पहुंचे, हनुमान जी ने सुग्रीव को श्री राम जी से मिलवाया था। सुग्रीव ने प्रभु राम जी को अपनी सारी समस्याएं बताईं थीं। यह भी बताया कि बाली किस तरह दूसरों की शक्तियों को अपने में समा लेता है। तब प्रभु श्री राम जी ने बाली को छुपकर तीर मारा था। भले ही श्री राम जी ने कोई अपराध नहीं किया परंतु बाली के मन में यह विचार बन गया था कि रामजी ने उसको छुप कर मारा है।

जब बाली का हनुमान जी से हुआ सामना

बाली को अपनी शक्तियों पर बहुत अधिक घमंड था। वह यही सोचता था कि उसको इस विश्व में कोई भी नहीं हरा सकता है और ना ही उसका कोई सामना करना कर सकता है, लेकिन बाली के इस घमंड को हनुमान जी ने तोड़ा था। एक बार हनुमानजी और बाली जी का आमना सामना हुआ। प्रचलित कथा के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि एक दिन राम भक्त हनुमान जी वन में तपस्या कर रहे थे। उसी दौरान बाली लोगों को धमकाता हुआ वन में पहुंच गया। बाली अपनी ताकत के नशे में चूर-चूर था। वन में पहुंचकर वाली जोर-जोर से चुनौती देने लगा कि कौन है जो मुझे हरा सकता है। अगर किसी ने मां का दूध पिया है तो मुझसे मुकाबला करके दिखाएं। बाली के चिल्लाने से हनुमान जी की तपस्या भंग हो गई थी। तब हनुमानजी ने बाली से कहा कि आप बहुत शक्तिशाली हैं। आपको इस विश्व में कोई नहीं हरा सकता परंतु आप इस तरह क्यों चिल्ला रहे हो? इतना सुनकर बाली को गुस्सा आ गया और हनुमान जी को ही उसने चुनौती दे दी। बाली ने हनुमान जी को यह भी कहा कि जिसकी तुम भक्ति कर रहे हो मैं उसे भी हरा सकता हूं। प्रभु राम जी का मजाक उड़ता देख हनुमान जी को और अधिक क्रोध आ गया था।

हनुमान जी ने बाली की चुनौती स्वीकार कर ली थी। यह तय हुआ था कि अगले दिन सूर्य उदय होते ही दोनों के बीच युद्ध होगा। जब हनुमान जी तैयार होकर दंगल के लिए निकल पड़े थे तभी ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने हनुमान जी को समझाने का प्रयत्न किया कि वह बाली की चुनौती स्वीकार ना करें परंतु हनुमान जी ने कहा कि उसने मेरे प्रभु श्री राम जी को चुनौती दी है इसलिए मैं उससे युद्ध जरूर करूंगा। तब ब्रह्माजी ने कहा कि तुम अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा लेकर युद्ध में जाना। बाकी अपने आराध्य के चरण में समर्पित कर दो। हनुमान जी ने ब्रह्मा जी की बात मानी और अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा लेकर बाली से युद्ध करने के लिए गए। जब बाली और हनुमान जी का आमना-सामना हुआ तो हनुमान जी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में समाने लगा। बाली को अपने अंदर बहुत अधिक शक्ति का एहसास होने लगा था. ऐसा लग रहा था कि उसका शरीर फट जाएगा। तब ब्रह्मा जी प्रकट होकर बाली से बोले कि अगर तुमको अपना जीवन बचाना है तो तुरंत हनुमान जी से कोसों दूर भाग जाओ अन्यथा तुम्हारा शरीर फट जाएगा। तब बाली को सब कुछ समझ आ गया और वह तुरंत ही हनुमान जी से दूर चला गया। तब जाकर उसको राहत महसूस हुई।

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