हनुमान जी का चमत्कारिक मंदिर, जहां 5 मंगलवार हाजिरी लगाने से सभी मुरादें होती है पूरी
महाबली हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है और यह भगवान शिव जी के 11वें रुद्र अवतार है, ऐसा माना जाता है कि वर्तमान समय में भी महाबली हनुमान जी धरती पर साक्षात विराजमान है और यह अपने सभी भक्तों के कष्ट दूर करते हैं, जो भक्त अपने सच्चे मन से इनको याद करता है वह उनकी पुकार अवश्य सुनते हैं और उनकी परेशानियों का समाधान करने के लिए तुरंत आ जाते हैं, वैसे देखा जाए तो देशभर में महाबली हनुमान जी के बहुत से मंदिर मौजूद हैं जो अपनी अपनी विशेषता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, आप लोगों ने ऐसे बहुत से मंदिर के चमत्कारों के बारे में बारे में सुना होगा, परंतु महाबली हनुमान जी देवताओं में सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं और यह अपने भक्तों की पुकार तुरंत सुनकर अपना चमत्कार दिखाते हैं त्रेतायुग में भगवान श्री राम जी ने महाबली हनुमान जी को कलयुग के अंत तक धर्म की स्थापना और भक्तों के कल्याण के लिए धरती पर रहने के लिए कहा था इसलिए हनुमानजी के भक्त वर्तमान समय में अपनी परेशानियां लेकर महाबली हनुमान जी के दरबार जाते हैं, आज हम आपको हनुमान जी के ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां पर जो भक्त अपनी मनोकामना लेकर जाता है उसको भगवान हनुमान जी के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
हम आज आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह एक ऐसा मंदिर है जिसके अंदर महाबली हनुमान जी सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, बजरंगबली का यह मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है यह मंदिर भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के ग्राम छिंद में हनुमान दादा जी का मंदिर है जो लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है इस मंदिर के अंदर वर्षभर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है खासतौर से इस मंदिर के अंदर मंगलवार के दिन भक्त अधिक संख्या में आते हैं और इस मंदिर में माथा टेक कर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं इस मंदिर में मंगलवार के दिन भंडारे का भी आयोजन होता है भंडारा होने के पश्चात यहां पर संध्या के समय भजन भी होता है जब भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है तो भक्त इस मंदिर में पैदल ही हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं और इस मंदिर में चादर चढ़ाना झंडे चढ़ाना और चोला अर्पित करने का रिवाज है।
महाबली हनुमान जी के इस मंदिर के परिसर में एक पीपल का विशाल वृक्ष है और उसके नीचे दक्षिणमुखी दादा जी की प्रतिमा स्थित है इस मंदिर के अंदर मंगलवार और शनिवार के दिन दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस मंदिर में पांच मंगलवार बिना नागा किए दादा के दरबार में हाजिरी लगाता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती है यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है यहां पर मौजूद प्रतिमा में दादाजी स्वयं निवास करते हैं जो भक्त इनकी साधना करता है उससे वह बहुत शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं यहां पर आने वाले भक्तों का ऐसा कहना है कि उन्होंने स्वयं अपने कष्टों का निवारण का अनुभव किया है।