अध्यात्म
हनुमान जी और शनिदेव से जुड़े हुए ये रोचक किस्से नहीं जानते होंगे आप, जानकर होगा आश्चर्य
महाबली हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली देवताओं में माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने समय आने पर अपनी शक्तियों का प्रदर्शन कर दुष्टों का नाश किया है। वहीँ शनि देव एक ऐसे देवता हैं जिनके नाम मात्र से ही व्यक्ति के मन में भय बैठ जाता है। शनि देव सूर्य पुत्र थे और हनुमान जी पवन पुत्र थे। शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया गया है कि जो व्यक्ति महाबली हनुमान जी की भक्ति करता है उसको शनिदेव कभी भी परेशान नहीं करते हैं। हनुमान जी की आराधना करने वाले लोगों के ऊपर शनि देव की बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से हनुमान जी और शनिदेव से जुड़े हुए कुछ रोचक किस्से बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होगा।
हनुमान जी और शनिदेव से जुड़े हुए रोचक किस्से
- जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, शनि देवता स्वभाव के बहुत अधिक गुस्सैल है। जब शनिदेव बचपन में अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से भाग जाते थे तब यह अपनी शक्तियों के बल पर लोगों को परेशान करने लगते थे। शनि देवता एक गांव में इसलिए आग लगा देते थे क्योंकि उस गांव के लोग उनको पानी पीने के लिए नहीं देते थे। गांव वाले शनि देव की इस हरकत से बहुत ज्यादा परेशान रहते थे, जिसकी वजह से शनि देव को घेरकर गांव वाले मारने की कोशिश करते थे, परंतु हनुमान जी शनिदेव को बचा लिया करते थे, लेकिन शनि देव हनुमान जी का एहसान नहीं मानते थे। उल्टा हनुमान जी से यह कहते थे कि तुम मेरे मार्ग में क्यो आये, तब हनुमान जी शनिदेव से कहा करते थे कि तुम अपने पिता के पास जाओ, परंतु शनि देव हनुमानजी से ही बहसबाजी करने लगते थे और उन दोनों के बीच में लड़ाई हो जाती थी। तब हनुमान जी शनिदेव को अपनी पूंछ में लपेटकर उनके पिता के पास ले जाते थे।
- हनुमान जी सबसे शक्तिशाली देवता माने जाते हैं। जब हनुमान जी की शक्तियों के बारे में शनि देवता को पता चला तो शनिदेव उनसे युद्ध करने का मन बना बैठे। जब हनुमान जी से युद्ध करने के लिए यह निकल पड़े तो उन्होंने देखा कि हनुमान जी प्रभु राम जी की भक्ति में लीन हैं। शनिदेव को अपनी शक्तियों पर बहुत अधिक घमंड था और यह हनुमान जी की राम भक्ति में बाधा उत्पन्न करने लगे और हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारने लगे। मजबूर होकर हनुमान जी ने भी शनिदेव के युद्ध की चुनौती स्वीकार की। तब हनुमानजी ने अपनी पूंछ में शनि देव को बांध लिया और राम भक्ति में लीन हो गए। शनिदेव ने निकलने की बहुत कोशिश की परंतु उनकी सारी कोशिशें नाकाम रही। आखिर में इन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना की थी कि वह उनको छोड़ दें। तब हनुमान जी को शनिदेव के ऊपर दया आ गई और घायल शनिदेव को उन्होंने छोड़ दिया। बाद में शनि देव के घावों के ऊपर हनुमान जी ने सरसों का तेल लगाया, जिससे शनि देव को घाव की पीड़ा से राहत मिली थी।
- आपको बता दें कि लंकापति रावण ने भी शनिदेव को कैद कर लिया था। जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुंचे थे तो उन्होंने देखा कि शनि देव जेल में कैद हैं। तब हनुमानजी ने शनि देवता को कैद से मुक्त करवाया था। तब शनि देव ने हनुमान जी का एहसान माना और उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति करेगा, उनके ऊपर यह अपनी बुरी दृष्टि नहीं डालेंगे।