ज्ञानवापी मस्जिद में नया मौड़, हिंदुओं ने किया शिवलिंग मिलने का दावा, मुस्लिम नहीं मान रहे, जाने अब क्या होगा
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक सर्वे हुआ था। इस सर्वे में हिन्दू पक्ष ने 12 फीट 8 इंच लंबी शिवलिंग के नदी में मिलने का दावा किया है। अब 17 मई को हिंदू पक्ष कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। वहीं मिले हुए शिवलिंग को संरक्षित करवाने के लिए वकीलों की एक टीम भी कोर्ट आ गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा
हिन्दू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी के अनुसार यह भोले की नगरी है। यहां कई जगह उनके दर्शन होते हैं। यहां एक तालाब है। इसके बीच से जाने का रास्ता नहीं मिल सकता है। ऐसे में हम वहाँ नहीं जा पाए हैं। हालांकि हमने जिस दावे का वादा किया था उसमें हमे सफलता मिली है।
इस मामले डीएम कौशल राज शर्मा का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे को लेकर आज (16 मई) सवा दस बजे कमिश्नर की कार्यवाही समाप्त हुई। इसे कोर्ट कमीशन के तीन सदस्यों ने समाप्त किया। अब इसकी सुनवाई अदालत में की जाएगी। कोर्ट जो भी निर्णय लेगा, उसी आदेश को माना जाएगा। रिपोर्ट 17 मई को कोर्ट में पेश की जाएगी।
डीएम ने आगे कहा अभी तो सिर्फ किसी ने अपना पर्सनल स्टेटमेंट दिया है। इसलिए असली फैसला कोर्ट में ही होगा। वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी सर्वे को लेकर किसी का भी बयान उनकी निजी राय है। जब कोर्ट में चीजें साफ होगी और जो कोर्ट का आदेश होगा उसे ही माना जाएगा।
मुस्लिम पक्ष ने दावा मानने से किया इनकार
दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष इस शिवलिंग के मिलने के दावे को स्वीकार नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि दूसरों के कहने से कोई निर्णय नहीं होगा। वहाँ ऐसा कुछ मिला ही नहीं है। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज़ अहमद के अनुसार सर्वे तो पूरा हो गया है। बस रिपोर्ट पेश की जानी है। यदि कोर्ट के फैसले के बाद भी किसी को ऑब्जेशक्शन होगा तो वह फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।
वैसे बताते चलें कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की शुरुआत आज से नहीं हुई है। ये विवाद काफी पुराना है। इस मुद्दे को सबसे पहले वाराणसी ज़िला अदालत में साल 1936 में उठाया गया था। तब इसे लेकर एक याचिका भी दायर हुई थी। इसके बाद सन 1937 में कोर्ट द्वारा इस जगह पर नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी। वहीं 1991 में स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर एक केस दर्ज किया था। इसमें दावा किया गया कि मंदिर की जगह पर मस्जिद बनाई गई है।