सास की पीठ पीछे ये बुराइयां करती हैं बहू, सामने आई सारी बातें
जब भी कोई लड़की शादी कर ससुराल जाती है तो उसे अच्छे से पता होता हैं कि वहां एक औरत ऐसी होगी जिसे खुश रखने के लिए उसे हमेशा ही कुछ ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी. जी हाँ हम यहां सासूजी की बात कर रहे हैं. एक बहू और सास आपस में सबके सामने कितने भी अच्छे से रह ले लेकिन पीठ पीछे दोनों एक दुसरे की बुराई जरूर करते हैं. खासकर जब नई नवेली बहू शादी के बाद अपने दोस्तों से मिलती हैं तो सास की बुराइयों के पूल बाँध देती हैं. इनमे से ज्यादातर बहुए कुछ कॉमन बुराइयां करती हैं जो इस प्रकार हैं.
उसकी बेटी कर सकती हैं लेकिन मैं नहीं
हर घर में कुछ नियम कायदे होते हैं, जिसे यदि उनकी बहू ने जरा सा भी तोड़ दिया तो घर में महाभारत छिड़ जाती हैं. लेकिन वही काम यदि उनकी लाडली बेटी कर दे तो सब कुछ माफ़ होता हैं. वो सलमान खान का गाना हैं ना “मैं करू तो साला करैक्टर ढीला हैं.” बस यही बात यहां पर भी लागू होती हैं. बहुओं को इसी बात की शिकायत रहती हैं कि घर में बेटियों की तरह उन्हें पूरी आजादी नहीं होती है और ना ही उस लेवल का प्यार मिलता हैं.
सास का बदलता व्यवहार
कई बहुए इस बात की शिकायत करती हैं कि उसकी सास सबके सामने तो अच्छे से पेश आती हैं लेकिन जब वे दोनों घर में अकेले होते हैं तो उसका रोद्र और अलग रूप देखने को मिलता हैं. समाज और रिश्तेदारों के सामने वो मीठी होती हैं लेकिन अकेले में करेले के सामान कड़वी होती हैं.
हर काम में नुस्ख निकालना
एक सास घर में कई सालों से कामकाज कर रही होती हैं. इसलिए वो सभी कामो में माहिर होती हैं. ऐसे में जब एक नई नवेली बहू घर में कोई भी काम करती हैं तो उसके परफेक्ट ना होने पर सास बार बार उसकी गलतियाँ निकालती रहती हैं. बहू को यही बात चुभ जाती हैं और वो दूसरों के सामने बुराइयां करने भीड़ जाती हैं.
मेरे जैसा खाना बना वरना बेटे को पसंद नहीं आएगा
एक सास बहू पर लगातार यही प्रेशर डालती हैं कि वो घर में उसकी तरह ही खाना पकाए. कुछ भी अलग ना करे. सास बहू को बार बार ये एहसास दिलाती हैं कि मेरे लाडले बेटे को तो मेरे ही हाथ का खाना ज्यादा भाता हैं. बहू को ये बात बुरी लग जाती हैं और फिर होती हैं मोहल्ले में उनकी बुराइयां.
बात बात पर ताने मारना
एक सास अपनी बहू को ताने मारे बिना ही उस से बात कर ले ऐसा हो ही नहीं सकता हैं. ताने मारना तो उसका जन्मसिद्ध अधिकार हैं. ये तो बहू को सुनना ही पड़त हैं. ‘तेरे माँ बाप ने यही सिखाया हैं?’ ‘तेरे परिवार में ऐसा होता होगा लेकिन हमारी फैमिली में ये नहीं होता.’ इसी तरह के और भी कई ताने बहू को रोजाना सुनने पड़ते हैं. फिर वो इन्हें जमा कर सब दूर बुराई के रूप में बाटती हैं
शादी के बाद तूने मेरे बेटे को बदल दिया
एक सास को हमेशा इस बात की चिंता सताते रहती हैं कि कहीं बहू उसके लाडले बेटे को मुझ से छीन ना ले. वो मुझ से ज्यादा उसकी ना सुनने लगे. फिर वो कई बार तो ये भी कह देती हैं कि पता नहीं मेरे बेटे पर कौन सा काला जादू कर दिया हैं जो वो मेरी तो सुनता ही नहीं हैं. बेटे को लेकर सास अपनी बहू से अक्सर लड़ती रहती हैं.