दंडनायक शनिदेव का चमत्कारिक मंदिर, जहां शनि कृपा से लोगो को परेशानियों से मिलती है मुक्ति
शनि देव को न्यायाधीश की उपाधि दी गई है, यह मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही न्याय करते हैं, अगर दंडनायक शनि देव की कृपा दृष्टि किसी व्यक्ति पर हो तो उस व्यक्ति का जीवन सुधर जाता है और व्यक्ति को अपने जीवन में खुशियां मिलती है, वैसे देखा जाए तो देश भर में शनि देव के मंदिर कई स्थानों पर मौजूद है, जिनकी अपनी अलग अलग मान्यता है, परंतु आज हम आपको शनि देव के ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर के अंदर दंडनायक शनि देव इच्छा वरदायक बन जाते हैं और इस मंदिर में आकर लोगों को अपनी सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
हम आपको जिस शनि मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह उत्तर प्रदेश में कृष्ण के ब्रज मंडल में स्थित है, शनिदेव का यह एक सिद्ध स्थान कोसीकला गांव के पास मौजूद है, शनिदेव का यह स्थान कोसी से लगभग 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, इस मंदिर के नजदीक ही नंद गांव भी है, शनि देव के इस मंदिर को विश्व का सबसे प्राचीन शनि मंदिर बताया जाता है, ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त यहां आकर शनि देव के दर्शन करता है उसकी सभी मुरादें बहुत ही शीघ्र पूरी हो जाती है।
शनि देव के इस प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर से जुड़ी हुई एक कथा बहुत ही प्रचलित है कथा अनुसार ऐसा बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जी के समय से ही इस मंदिर को स्थापित किया गया था, इस मंदिर को स्वयं भगवान श्री कृष्ण के वरदान के पश्चात यहां स्थान प्राप्त हुआ था, ऐसा बताया जाता है कि जब कृष्ण जी का जन्म हुआ था तब सभी देवी देवता कृष्ण जी के बाल रूप के दर्शन करने के लिए यहां पर आए थे परंतु शनि देव को नंद बाबा ने रोक दिया था क्योंकि उनकी वक्र दृष्टि से वह भयभीत थे, परेशान शनिदेव को सांत्वना देने के लिए भगवान कृष्ण जी ने संदेश दिया था कि वह नंद गांव के निकट वन में उनकी तपस्या करें, वहीं पर शनिदेव को वह दर्शन देंगे, तब शनिदेव ने इस स्थान पर आकर तपस्या की थी जिससे भगवान श्री कृष्ण जी प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे, भगवान कृष्ण जी ने कोयल के रूप में शनि देव को दर्शन दिए थे, इसी वजह से इस स्थान का नाम कोकिलावन पड़ा था, शनिदेव को श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था, श्री कृष्ण जी ने शनिदेव को कहा था कि वह इसी स्थान पर विराजमान हो और इस स्थान पर जो भी व्यक्ति उनके दर्शन करेगा उसके ऊपर शनि की बुरी दृष्टि का प्रभाव नहीं होगा और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होगी।
भगवान श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद पाने के बाद से ही शनिदेव यहां पर विराजमान है और भक्तों की सभी दुख परेशानियां दूर करते हैं, भगवान कृष्ण जी ने स्वयं भी वहीं पास में राधा के साथ मौजूद रहने का वादा किया था, शनि देव के इस मंदिर की बाई तरफ भगवान श्री कृष्ण जी राधा के साथ विराजमान है, जो भक्त अपनी किसी भी प्रकार की परेशानी लेकर यहां पर दर्शन करने के लिए आता है उसको अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, शनि देव यहां पर आने वाले लोगों की हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं।