90 हजार मरीजों का इलाज करने वाला पकड़ा गया फर्जी डॉक्टर, कहा- ट्रेन में पड़ी मिली थी डिग्री
इस दुनिया में अच्छे और बुरे दो लोग होते हैं एक वो जिन्हें दूसरों की परेशानी और मजबूरी दिखती है लेकिन एक वो होते हैं जिन्हें सिर्फ अपने से ही मतलब होता है. मगर जब कोई अपने मतलब के लिए दूसरों की मेहनत पर राज करने लगता है तो उससे बड़ा स्वार्थी कोई नहीं हो सकता. कुछ ऐसा ही किया एक आदमी ने जब उसे ट्रेन में मिली एक डिग्री को अपना बताकर उससे 90 हजार मरीजों का इलाज करके खूब सारा पैसा कमा लिया. मगर इस 90 हजार मरीजों का इलाज करने वाला पकड़ा गया फर्जी डॉक्टर, अब होगी बराबर जांच और लगेंगी कई धारा.
90 हजार मरीजों का इलाज करने वाला पकड़ा गया फर्जी डॉक्टर
राजस्थान पुलिस ने सीकर में एक प्राइवेट अस्पताल से फर्जी डॉक्टर को पकड़ लिया है और इस डॉक्टर की महीने की सैलरी 1 लाख रुपये थी. मानसिंह बघेल नाम का ये व्यक्ति कृष्ण कन्हैया केयर अस्पताल में डॉक्टर के पद पर कार्यरत था. मानसिंह की उम्र 44 साल है और ये पिछले 9 सालों से मरीजों को देखता आ रहा है. वो दिनभर में करीब 25 मरीजों की जांच करता और लाख रुपये सैलरी के रूप में लेता था. एक मरीज की हालत बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन ने उसकी जांच की तब भांडा फूटा. सिर्फ 12वीं पास मानसिंह पांच महीने से सीकर में तैनात था और इससे पहले को आगरा में क्लीनिक चलाता था और दौनों जगहों का मिलाकर अब तक करीब 90 हजार मरीजों को देख चुका है. उसका दावा है कि पांच साल पहले मथुरा जाते समय इसे ट्रेन में डॉक्टर मनोज कुमार की डिग्री पड़ी मिली ती और उसी के अनुसार उसने बाकी फर्जी पहचान पत्र बनवा लिए और सीकर अस्पताल में वह मरीजों को एक जैसी दवा देता था. इलाज के लिए घरेलू नुस्खे ज्यादा आजमाता था और जून के दूसरे हफ्ते में एक महिला दिल की बीमारी का इलाज कराने अस्पताल पहुंची तो इस फर्जी डॉक्टर ने महिला को ड्रिप चढ़ा दी, फिर हालत बिगड़ने पर उसे दूसरे अस्पताल रेफर करना पड़ा. अस्पाल प्रशासन ने जब इस वोटिंग कार्ड की जांच की तो उसमें दूसरी पहचान मिली. मानसिंह आगरा का रहने वाला है और वह मरीजों को पैरासीटामोल जैसी सामान्य दवाएं दे दिया करता था और जब मरीज गंभीर हो जाते तो उन्हें दूसरे अस्पताल में रिफर कर देता था.
पुलिस भी हो गई है कंफ्यूज
अली डॉक्टर मनोज कुमार का हरियाणा के पलवल जिले में सहारा अस्पताल है और उनकी पत्नी प्रियंका भी एक डॉक्टर हैं. उनकी डिग्री के नाम पर फर्जी तरीके से नौकरी करने की जानकारी मिलने पर वे सीकर आए. उन्होंने बताया कि साल 2005 में उनका एक बैग चोरी हो गया था जिसमें उनके डॉक्यूमेंट्स थे. इस बैग चोरी की रिपोर्ट मनोज ने पुलिस में लिखवाई थी और पुलिस अब इस बात को लेकर परेशान है कि अगर मनोज ने साल 2005 में अपना बैग खोया ता तो मानसिंह को 5 साल पबले ट्रेन में कैसे मिली होगी ? अभी कुछ पहलुओं से पर्दा उठना बाकी है.