16 की उम्र में गंवाई आंखें, मरने की कोशिश की, रुला देगी आयुष्मान खुराना के ट्रेनर की यह कहानी
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हौंसले बुलंद हो, मन में विश्वास हो तो व्यक्ति जो चाहे वो कर सकता है. वो भी उस स्थिति में जब चीजें आपके पक्ष में न हो. आज हम आपको हेमेंद्र प्रताप सिंह की एक सच्ची कहानी से रूबरू करवा रहे हैं. उनके जीवन में अंधेरा छा चुका था लेकिन बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना के ट्रेनर बन उनका जीवन बदल गया.
10 साल पहले हेमेंद्र प्रताप सिंह अपने परिवार के साथ मुंबई आकर रहने लगे थे. वे मूलतः उत्तर प्रदेश के जौनपुर से है. 16 साल की उम्र के आस पास उन्हें कम दिखाई देने लगा. हर दिन उन्हें कम रौशनी के साथ एक नई परेशान झेलनी पड़ी. टीचर स्कूल में पढ़ाते तो उन्हें बोर्ड पर दिखता नहीं था. पीछे बैठने के बाद बीच वाली बेंच पर बैठने लगे, फिर आगे भी बैठे लेकिन परेशानी खत्म नहीं हुई.
क्रिकेट के भी हेमेंद्र खूब शौक़ीन है. बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों कर लेते थे लेकिन एक समय आया जब बल्लेबाजी के दौरान ठीक से गेंद नहीं दिख रही थी और गेंदबाजी के दौरान वाइड खूब फेंकने लगे थे. एक बार मां के साथ अस्पताल गए. जहां उन्हें कहा गया कि आंखों की रौशनी कम हो चुकी है चश्मा बनवा लो. उन्होंने चश्मा लगा लिया लेकिन फिर भी फायदा नहीं मिला. उन्हें ऑप्टिक न्यूराइटिस नाम की बीमारी हो गई थी.
ऑप्टिक न्यूराइटिस बीमारी पहले एक आंख में थी फिर दूसरी आंख में भी हो गई. उन्हें खूब इंजेक्शन लगे. 45 बार उनकी MRI भी हो चुकी थी. इस बीच बीमारी से उनका वजन 126 किलो तक हो चुका था. हेमेंद्र काफी परेशान रहने लगे थे.
गुस्सा में अपने हाथों से ही अपने चेहरे पर मारने लगते थे. दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की. एक बार घर की पहली मंजिल से कूद गए तो पैर में फ्रैक्चर हो गया. जबकि एक बार बिजली के मेन सर्किट को पकड़ने से करंट लग गया. घर वाले घबरा गए थे.
आगे जाकर हेमेंद्र ने डिएड की ट्रेनिंग में नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. तब एक दिन बोर्ड पर पढ़ाने के दौरान बच्चे आयुष्मान खुराना, आयुष्मान खुराना चिल्लाने लगे. दरअसल तब स्कूल में ‘अंधाधुंध’ फिल्म का पूरा क्रू आया था. आयुष्मान भी मौजूद थे. आयुष्मान को हेमेंद्र उनकी पहली फिल्म विकी डोनर के समय से जानते थे. अभिनेता की यह फिल्म साल 2012 में आई थी.
हेमेंद्र ने बताया कि जब आयुष्मान स्कूल आए थे तो उन्होंने उनसे हाथ मिलाया था. हेमेंद्र आयुष्मान के गानों के फैन रहे हैं. आगे जाकर उनका आयुष्मान के साथ एक ख़ास रिश्ता जुड़ गया था. आयुष्मान ने हेमेंद्र से सवाल किया था कि जिम जाते हो क्या ? उन्हें हां में जवाब मिला.
आधे घंटे तक हेमेंद्र और आयुष्मान खुराना के बीच बातचीत हुई. इस आधे घंटे में अंधाधुंध के मेकर्स ने हेमेंद्र के लिए जीवन बदलने वाला फैसला ले लिया था. क्योंकि उन्हें फिल्म के प्रोजेक्ट के लिए चुन लिया गया था. बता दें कि ‘अंधाधुंध’ में आयुष्मान ने एक नेत्रहीन का रोल निभाया था वहीं उन्हें नेत्रहीन के रोल की ट्रेनिंग दी थी हेमेंद्र ने.
Meet Hemendra Pratap Singh, who teaches daily living skills to the visually impaired, who I believe is doing a wonderful job for the visually abled people. More power to you. https://t.co/YXUtloEswD#9DaysToAndhadhun #SriramRaghavan @andhadhunfilm #Andhadhun #5thOctober
— Ayushmann Khurrana (@ayushmannk) September 27, 2018
बड़े पर्दे पर आयुष्मान की यह फिल्म आई तो इसने धमाल मचा दिया. आयुष्मान को भी अपने काम के लिए खूब वाहवाही मिली. अंधाधुंध 5 अक्टूबर 2018 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म के लिए आयुष्मान को साल 2018 के बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था. यह सम्मान पाने के बाद अभिनेता ने हेमेंद्र को फोन किया था और उन्हें धन्यवाद दिया था.
मराठी फिल्म के लिए किया काम…
आगे जाकर हेमेंद्र प्रताप सिंह ने एक मराठी फिल्म के लिए भी किया काम. जवानी में अपनी आंखें खो चुके, दो बार आत्महत्या का प्रयास कर चुके हेमेंद्र सफलता की नई सीढ़ी चढ़ते जा रहे थे. शशांक केतकर, रीना अग्रवाल जैसे बड़े कलाकारों की मराठी फिल्म ’31 दिवस’ के लिए काम किया.
सिलसिला यहीं नहीं थमा. आगे उन्होंने टीवी के लोकप्रिय अभिनेता गुरमीत चौधरी की शॉर्ट फिल्म ‘शुभहो बिजोया’ के लिए काम किया. फिर सुनील शेट्टी और विवेक ओबोरॉय की वेब सीरीज धारावी बैंक और अभिषेक बच्चन की वेब सीरीज ब्रीद इनटू दि शैडो-सीजन-3 के लिए भी काम किया.
फिल्मों के लिए कलाकारों को नेत्रहीन होने की ट्रेनिंग देने के साथ ही हेमेंद्र एक बैंकर भी है. वे मुंबई में आर्यावर्त बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में कार्यरत है. अपनी इस उथल पुथल और बेहद दर्दभरी यात्रा पर हेमेंद्र कहते है कि जिस कमजोरी के लिए मैं आत्महत्या करने जा रहा था वही मेरी पहचान और ताकत बन गई. मुझे लगता है कि जिंदगी किसी को भी 100% नहीं देती है और जिंदगी में कुछ भी तय नहीं.