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एक औरत के चीखने की आवाज आ रही थी पुल के नीचे से, जब जाकर देखा तो जो भी गया रो पड़ा

नमस्कार दोस्तों आप सभी लोगों का हमारे लेख में स्वागत है दोस्तों एक नारी के चीखने की आवाज से उधर से गुजर रहे तमाम लोग सन्न रह गए थे सभी लोगों ने यह सोचा कि मुसीबत यह नारी मुसीबत में फंसी होगी कुछ लोगों ने हिम्मत करके नीचे जाकर देखा तो वहां पर दिखा ओडिशा का शासन वहां पर दिखा उड़ीसा का असल प्रशासन जो भी वहां पर दिखा किसी के भी आंखों से आंसू निकालने के लिए बहुत था क्योंकि राजनीति के आरोप प्रत्यारोप में पिस रही थी एक नारी। यह घटना उड़ीसा के मयूरभंज जिले का है जिस घटना का दर्द किसी के आंखों से भी आंसू निकाल सकती है आपको बता दें कि नवीन पटनायक के राज्य में अस्पताल की सुविधा से वंचित वह नारी एक पुल के नीचे आड़ में एक बच्चे को जन्म दे रही थी और जो भी व्यक्ति नीचे उसकी सहायता करने के लिए उतरा था वह धर्म संकट में पड़ गए थे कि वह चीखती महिला की सहायता करें तो भी कैसे करें यह महिला जहां पर 1 बच्चे को पुल के नीचे जन्म दे रही थी वह जिला था उड़ीसा का मयूरभंज और गांव का नाम सुरुबिल था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक मिली जानकारी के अनुसार इस महिला ने अपने जीवन की पूरी कमाई से जैसे-तैसे एक घास फूस का घर बनाया था और 6 महीने पहले एक जंगली हाथी ने इसका घर तोड़ दिया था जिसकी वजह से इस महिला ने अपने परिवार को जैसे तैसे बचाया और गर्भवती होने के पश्चात भी खुद की और अपने पेट में पल रहे बच्चे की जान बचाने के लिए भागती रही जब हाथी ने उसकी जिंदगी भर की कमाई को रौंद दिया तो उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा खाने तक के लाले पड़ गए थे और उसके बाद उसको अपना खुद का घर भी नसीब नहीं हुआ जबकि इस घटना को वहां के स्थानीय सांसद विधायक जिला अधिकारी और स्थानीय अधिकारी सभी जानते हैं।

यह महिला अपने परिवार को लेकर दिनभर खाने की तलाश में भटकती रहती थी महिला जैसे तैसे दर-दर भटक रही थी परंतु 9 महीने के आने के बाद प्रसव पीड़ा से अचानक ही जब इसको दर्द उठा तो यह छिपकर जैसे-तैसे एक सामने दिख रही पुलिया की आड़ में चली गई और बिना किसी चिकित्सीय सहारे के उस बच्चे को जन्म देने लगी जिसमें उठ रही असहनीय पीड़ा के वजह से वह तेज-तेज से चिल्ला रही थी रो रही थी और आखिरकार उस बच्चे का जन्म भी उसी पुलिया के नीचे हुआ इस महिला को 6 महीने में एक बार भी किसी प्रकार से स्थानीय सरकार ने पुनर्वास का प्रयास नहीं किया इसको किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सहायता नहीं प्राप्त हुई।

जब यह मामला मीडिया में आया तब वहां के अतिरिक्त जिला अधिकारी की नींद खुली और उन्होंने केवल इतना ही कहा कि मामले की जांच की जा रही है और दोषी को सजा अवश्य मिलेगी असल में केवल एक ही पार्टी या व्यक्ति को लक्षित करने के चक्कर में समाज के वह दर्द कुछ संचार माध्यम छोड़ दिया करते हैं जो पत्थर को भी पिघला सकते हैं यह सवाल नवीन पटनायक से भी है आखिर उनके राज्य में इस महिला की ऐसी दशा और दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कई साधारण बातों में तत्काल संज्ञान लेने वाला महिला आयोग अब तक इस मामले में एक भी शब्द नहीं बोला है और महिला के लिए कोई भी एक भी धरने पर नहीं बैठा हुआ है और ना ही कोई भूख हड़ताल पर बैठा हुआ है।

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