क्या आप जानते हैं कौन है शिव और क्या है सावन में शिवलिंग के अभिषेक का महत्व? जानिए
सावन का पूरा महीना बभगवान शिव के अभिषेक के नाम समर्पित है। शिवपुराण के अनुसार शिव परमब्रह्म हैं। वेदों में परमात्मा की कल्पना एक विशाल ऊर्जा स्तम्भ के रूप में की गयी है। इसके शुरुआत और अंत के बारे में ब्रह्मा और विष्णु ढूँढने का प्रयास करते हैं, लेकिन असफल हो जाते हैं। इसके बाद दोनो ऊर्जा स्तम्भ के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। यह ऊर्जा का स्तम्भ कुछ और नहीं बल्कि शिवलिंग है। शिव एक रहस्यमयी देवता हैं। प्रलयकाल में सम्पूर्ण जगत जिसमें विलीन होता है एवं पुनः जिससे उत्पन्न होता है, वही शिव है।
किसी भी वस्तु के निर्माण के लिए असाधारण ऊर्जा की आवश्यकता होती है। विज्ञान के हिसाब से ऋष्टि की रचना एक भयानक विस्फोट की वजह से हुई थी। सभी ऊर्जा के कारण ही हुआ है। सभी के अंदर ऊर्जा का प्रवाह भी है। जहाँ से ऊर्जा उत्पन्न होती है, उसका प्रवाह वहाँ से ऊपर की तरफ़ होता है। अगर आप हवनकुंड की प्रचंड शिखा को ध्यान से देखेंगे तो आपको शिवलिंग का प्रतीक दिखाई देंग। किसी भी ऊर्जा को ऊपर उठने के लिए आधार कोई और नहीं बल्कि शिव ही देते हैं। शिव और शक्ति के मिलन का संयोग ही शिवलिंग है।
स्कंदपुराण के अनुसार आकाश शिवलिंग है तो धरती उसका आधार है। शिवलिंग को लेकर पक्षिम में कई भ्रांतियाँ हैं, जो लिंग की एकांगी परिभाषा की वजह से पनपी है। लिंग का अर्थ प्रतीक होता है, वहीं शिव कल्याण के द्योतक हैं। सर्वे भवंतु सुखिनः का भाव जिसके अंदर जग गया है, इसका मतलब उसके अंदर ज्ञान की ज्योति जल चुकी है। शिवलिंग का अभिषेक करने से वह ज्ञान की ज्योति और प्रज्वलित होती है। इसी वजह से इसे ज्योतिर्लिंग भिलह गया है। वेदों में ‘शिवोऽहम्’ का नाद बार-बार हुआ है। शिव आपके अंदर ही हैं, लेकिन आपको यह ज्ञात नहीं है।
किया जाता है शुष्क मन को मधुर बनाने का प्रयास:
सदियों से मनुष्य एक ही सवाल कर रहा है कि आख़िर में कौन हूँ? इसी प्रश्न के उत्तर पाने के लिए कई लोगों ने ज्ञान की प्राप्ति भी कर ली। मनुष्य की परिभाषा मन, बुद्धि, चित्त, और अहंकार से सीमित नहीं है और ना ही मनुष्य की पहचान उन पाँच तत्वों से सम्भव है। मनुष्य की एक ही पहचन है कि वह शिव है। शिवलिंग का अभिषेक करना अर्थात अपने शुष्क मन का अभिषेक करना होता है। उस शुष्क मन को मधुर करने के प्रयास से ही ऐसा किया जाता है। शिवलिंग का अभिषेक जिन चीज़ों से किया जाता है, वह सभी सरसता के परिचायक हैं।
मन प्रसन्न होने पर हो जाते हैं सभी काम पूरे:
जल, दूध, दही, घी और शहद से शिवलिंग का अभिषेक परमब्रह्म से जीवन में रस, स्निग्धता और आरोग्य बनाए रखने के लिए किया जाता है। शिव का वैराग्य के प्रति लगाव है, लेकिन यह ऋष्टि अनुराग से चलती है। ख़ुद अपने आप में देखिए जब भी आपका मन उदास होता है उस समय आपके सभी प्रयास अधूरे रहते हैं। वहीं जब आपका मन प्रसन्न रहता है तो आपके सभी काम पूरे हो जाते हैं। शिवलिंग का प्रेमजल से अभिषेक करने पर जब भक्त के जीवन में यही प्रेम फलता है तभी ज्ञान ज्योति के दर्शन हो जाते हैं।