क्या आप जानते हैं महाभारत में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण एक नहीं बल्कि दो थे, जानिये
भारत में धर्म को कितना महत्व दिया जाता है, यह किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। भारत में धर्म को सभी चीज़ों से ऊपर रखा गया है। यहाँ कई धर्म के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं। यहाँ पर हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है। हिंदू धर्म में वैसे तो कई ग्रंथ और पुराण हैं, लेकिन महाभारत को सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। महाभारत की कहानी से आप सभी लोग परिचित होंगे। महाभारत के सबी पात्रों के बारे में भी जानते होंगे? लेकिन आज हम आपको एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जिसे जानकार आपके होश उड़ जाएँगे।
महाभारत की बात हो और श्रीकृष्ण का ज़िक्र ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है। महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका के बारे में किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। श्रीकृष्ण के गीता उपदेश देने के बाद ही अर्जुन ने अपने रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ हथियार उठाया था। श्रीकृष्ण ने बताया था कि यह धर्मयुद्ध है और तुम्हें यह हर क़ीमत पर लड़ना ही होगा। महाभारत के बारे में लोग कई तरह की बातें जानते होंगे लेकिन यक़ीनन यह बात नहीं जानते होंगे कि महाभारत में श्रीकृष्ण एक नहीं बल्कि दो थे।
जी हाँ हम जानते हैं कि यह सुनकर आपको थोड़ा झटका लगा होगा, लेकिन यह सच है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि दोनो ही भगवान विष्णु के अवतार थे। महाभारत के पहले श्रीकृष्ण के बारे में तो किसी को बताने की ज़रूरत ही नहीं है। लेकिन दूसरे श्रीकृष्ण के बारे में बहुत काम लोग जानते हैं। आज हम आपको उसी दूसरे श्रीकृष्ण के बारे में बताने जा रहे हैं।
महर्षि वेदव्यास का नाम तो आपने सुना ही होगा। जी हाँ वही जिन्होंने महाभारत की रचना की थी। आपको जानकार हैरानी होगी कि उनका मूल नाम श्रीकृष्ण द्वैपायन व्यास था। ये सत्यवती और महर्षि पराशर के बेटे थे। श्रीमद्भागवत में भगवान विष्णु के जिन 24 अवतारों के बारे में बताया गया है, उसमें महर्षि वेदव्यास का नाम भी शामिल है। जन्म लेने के बाद ही महर्षि वेदव्यास युवा हो गए थे और तपस्या करने के लिए द्वैपायन द्वीप चले गए थे। कठोर तपस्या करने की वजह से वह काले हो गए थे, इसलिए उन्हें कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। वेदों का काम करने की वजह से वो वेदव्यास नाम से जाने जाने लगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें महर्षि वेदव्यास की कृपा से ही धृतराष्ट्र पाण्डु और विदुर का जन्म हुआ था। धर्मग्रंथों में जिन 8 अमर लोगों के बारे में बताया गया है, उनमें से एक महर्षि वेदव्यास भी हैं। यही वजह है कि उन्हें आज कलयुग में भी जीवित माना जाता है। जब कलयुग का प्रभाव बढ़ने लगा तो महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को स्वर्ग की यात्रा करने के लिए कहा था। महाभारत के संजय को महर्षि वेदव्यास ने ही दिव्यदृष्टि दी थी, जिससे संजय ने महल में बैठे-बैठे ही धृतराष्ट्र को युद्धभूमि की सभी बातें बतायी थी।