अध्यात्म

तिरुपति बालाजी में जरूर कीजिए यह काम, होगी धन की प्राप्ति

भारतवर्ष में बहुत से धार्मिक तीर्थ स्थान है और सभी तीर्थ स्थलों की अपनी अपनी अलग ही महत्ता और उसके पीछे कोई ना कोई कहानी अवश्य होती है आपको बता दें कि दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जहां पर पूरे देश से श्रद्धालु भारी मात्रा में वहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है और इस मंदिर को भारत का सबसे धनवान मंदिर माना गया है क्योंकि इस मंदिर के अंदर रोजाना करोड़ों रुपए का दान आता है और इसके साथ ही यहां पर अपने बालों का दान करने की भी परंपरा मानी गई है।

आपको बता दें कि श्री वेंकटेश्वर मंदिर तिरुमाला पहाड़ी की सातवीं चोटी पर स्थित है श्री स्वामी पुष्करिणी नदी के दक्षिण में स्थित इस मंदिर का निर्माण परंपरा द्रविड़ियन वास्तु शैली में किया गया है और इस मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.2 एकड़ है और यहां पर भगवान वेंकटेश्वर की 8 फुट ऊंची मूर्ति स्थित है मूर्ति सोने के ढलुएं गुबंद जिसे आनंद निलय दिव्य विमान कहा जाता है उसके नीचे रखी हुई है और इस मूर्ति की आंखें कपूर के तिलक से ढकी हुई है और यह मूर्ति बहुत ही ज्यादा कीमती और कुछ कम कीमती रत्नों से भी सुसज्जित हो रखी है आज हम आपको तिरुपति बालाजी में रहते हुए क्या-क्या करना चाहिए इस विषय में जानकारी देने जा रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर तिरुपति से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित तिरूमाला पहाड़ी पर है लाखों की तादाद में भक्त यहां पर भगवान वेंकटेश्वर की 8 फुट लंबी मूर्ति की झलक पाने के लिए आते हैं यह मूर्ति सोने हीरे और फूलों से सजी हुई है भगवान वेंकटेश्वर भगवान विष्णु का एक विशेष अवतार है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित काले रंग की दिव्य मूर्ति किसी ने भी बनाई नहीं है बल्कि यह खुद ही जमीन से प्रकट हुई है इस मूर्ति के स्वयं प्रकट होने की वजह से इसकी बहुत ही मान्यता मानी जाती है वेंकटाचल पर्वत को लोग भगवान का ही रूप मानते हैं जिसकी वजह से उस पर्वत पर कोई भी जूते लेकर नहीं जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि तिरुपति मंदिर में मिलने वाला प्रसाद दूसरे मंदिरों से बहुत ही अलग होता है और यह प्रसाद सबसे खास भी होता है यहां से मिलने वाला लड्डू जिसे इस मंदिर में बनाया जाता है वह आपको सिर्फ मंदिर के परिसर में ही मिलेगा इसके अतिरिक्त आप इस मंदिर में प्रसाद के रूप में दही चावल, इमली-चावल, वाडा और चक्केरा-पोंगाली, मिर्याला- पोंगाली, अपम, पाययासम, जिलेबी आदि खा सकते हैं और यहां पर आने वाले तीर्थयात्रियों को दैनिक भोजन भी दिया जाता है हर गुरुवार को तिरुवदा सेवा आयोजित की जाती है जहां खाद्य वस्तुओं को भगवान वेंकटेश्वर को नावेद्यम के रूप में रख दिया जाता है।

यदि आप दक्षिण भारत के खास त्योहारों को देखने की इच्छा रखते हैं और इसका अनुभव करना चाहते हैं तो तिरुपति की यात्रा खासकर त्यौहारों के दौरान करनी चाहिए आप इस दौरान यहां के त्यौहारों को भी देख सकते हैं परंतु आपको बता दें कि इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत अधिक होती है इसलिए आपको यात्रा के समय संयम से काम लेना होगा श्रद्धालु तिरुपति में दर्शन करने के पश्चात थाल कोणम पद्मावती मंदिर वराह स्वामी मंदिर आदि के दर्शन कर सकते हैं यहां पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिरो के प्रति अटूट होती है।

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