अगर पत्नी बार-बार ग़ुस्सा करती है तो हर पति करना चाहिए यह काम
हर किसी के जीवन में कोई ना कोई परेशानी है। किसी के जीवन में छोटी परेशनियाँ है तो किसी के जीवन में बड़ी परेशनियाँ है। कोई किसी चीज़ को लेकर जीवन में दुखी रहता है तो कोई किसी अन्य चीज़ की वजह से दुखी रहता है। कुछ लोग तो अपनी पत्नी को लेकर दुखी रहते हैं। पत्नी की कई ऐसी आदतें होती हैं, जो पति को पसंद नहीं होती हैं। इसी वजह से अपनी पत्नी को लेकर ज़्यादातर पति दुखी रहते हैं। वहीं पत्नियाँ भी अपने पतियों की कुछ आदतों को लेकर दुखी रहती हैं।
क्रोध के बारे में कहा जाता है कि यह इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। क्रोध एक ऐसी आग है जो सबकुछ जलाकर ख़ाक कर देती है। एक अच्छी-ख़ासी हँसती-खेलती ज़िंदगी भी क्रोध की वजह से बर्बाद हो जाती है। पति-पत्नी का क्रोध किसी बड़े विवाद को जन्म देता है। जब व्यक्ति क्रोधित होता है तो उसका विवेक काम करना बंद कर देता है। वह सही और ग़लत में फ़र्क़ करना भी भूल जाता है। ग़ुस्से में व्यक्ति कई बार सामने वाले को ऐसे शब्द बोल देता है जो लम्बे समय तक तकलीफ़ पहुँचाते रहते हैं।
शांति से देना चाहिए सामने वाले को जवाब:
किसी भी रिश्ते ख़ासतौर से वैवाहिक जीवन में अपने साथी के क्रोध का जवाब शांति से देना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति ग़ुस्से में है तो सामने वाले को उसे शांति से जवाब देना चाहिए। अगर दोनो ही क्रोधित हो जाएँगे तो बात बनने की बजाय काफ़ी बिगड़ जाती है। आज हम महान दार्शनिक सुकरात के वैवाहिक जीवन से जुड़ा हुआ एक परछिलिट क़िस्सा बताने जा रहे हैं। इस क़िस्से के बारे में जानकार आप समझ जाएँगे कि एक ज्ञानी व्यक्ति किस तरह से हर समय ग़ुस्से में रहने वाली पत्नी को शांत किया।
सुकरात की पत्नी हर छोटी बात पर करती थी लड़ाई:
सुकरात के बारे में बता दें वो एक महान यूनानी दार्शनिक थे। वह काफ़ी लोकप्रिय होने के बाद भी सहज, सहनशील और विनम्र स्वभाव वाले थे। जबकि इसके उलट सुकरात की पत्नी बहुत ही ग़ुस्से वाली थी। वह हर छोटी बात पर लड़ाई करती थी, जबकि सुकरात शांत रहते थे। सुकरात तानों और दुर्व्यवहार की अति हो जाने पर भी कोई जवाब नहीं देते थे। एक बार सुकरात अपने शिष्यों के साथ घर के बाहर बैठकर किसी महत्वपूर्ण विषय पर बात कर रहे थे। अचानक घर के अंदर से सुकरात की पत्नी ने आवाज़ लगाई। सुकरात चर्चा में खोए हुए थे, इसलिए पत्नी के बुलावे पर ध्यान नहीं दे पाए।
क्रोध को शांत करबे के लिए देना चाहिए सज्जनता से जवाब:
सुकरात को उनकी पत्नी ने कई बार बुलाया लेकिन वो चर्चा में इतने मग्न थे कि उन्हें कोई होश ही नहीं था। सुकरात की पत्नी का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर था। उसने शिष्यों के सामने ही पानी का घड़ा लाकर सुकरात पर डाल दिया। यह देखकर सुकरात के शिष्यों को बहुत बुरा लगा। सुकरात शिष्यों की भावना समझ चुके थे, उन्होंने कहा देखो मेरी पत्नी मेरा कितना ख़याल रखती है। इस भयानक गर्मी में पानी डालकर मुझे शीतलता प्रदान कर रही है। सुकरात की सहनशीलता देखकर शिष्यों ने उन्हें प्रणाम किया। सुकरात की पत्नी का भी ग़ुस्सा शांत हो चुका था। पत्नी के ग़ुस्से का जवाब सज्जनता से देने पर क्रोध शांत हो जाता है। घर में शांति बनाए रखने के लिए इस बात का ध्यान हर किसी को रखना चाहिए।