12 जुलाई को है देवशयनी एकादशी, पढ़ें इससे जुड़ी कथा
देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। देवशयनी एकादशी से जुड़ी मान्यता के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु पाताल लोक में निवास करते हैं और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को वैकुण्ठ में आ जाते हैं। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 12 जुलाई के दिन आ रही है और इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। 12 July 2019 – dev shayani Ekadashi
नहीं होती है एकादशी मंगल
देवशयनी एकादशी को शुभ नहीं माना जाता है और इस एकादशी के दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए आप इस दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य को ना करें।
एकादशी व्रत करने के नियम-
– देवशयनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करें और उसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें।
– मंदिर की सफाई करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान करवाएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
– भगवान विष्णु की पूजा के दौरान भगवान विष्णु से जुड़े मंत्रों का जाप करें और उपवास रखें।
– देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ शालिग्राम और लक्ष्मी मां की भी पूजा की जाती है।
– देवशयनी एकादशी के दिन जमीन पर सोया जाता है और बिस्तर में सोना इस दिन वर्जित माना गया है।
– देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। हालांकि इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित होता है। इसलिए आप देवशयनी एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लें।
– देवशयनी एकादशी के दिन कांस के बर्तन का प्रयोग ना करें।
– इस दिन घर में चना, उड़द और चावल बिलकुल ना बनाएं और ना ही इन चीजों को खाएं।
करें इन मंत्रों का जाप
देवशयनी एकादशी के दिन आप तीन बार भगवान विष्णु की पूजा करें और उनकी पूजा करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का जाप जरूर करें। ये मंत्र इस प्रकार हैं-
ॐ नमो नारायण,
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,
ॐ विष्णवे नम: इत्यादि। इति:
देवशयनी एकादशी व्रत रखने से जुड़ी कथा
देवशयनी एकादशी के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं और इस दिन व्रत रखने से एक कथा भी जुड़ी हुई है। एक मांधाता नामक राजा हुआ करता था और ये राजा अपनी प्रजा से बेहद ही प्यार किया करता था। एक बार राज्य में अकाल पड़ जाता है। इस अकाल के कारण राज्य में अन्न की कमी होने लग गई और राज्य की प्रजा दुखी रहने लग गई। अपनी प्रजा को दुखी देख मांधाता राजा ने ऋषियों से मुलाकात की और उनको राज्य में पड़े अकाल के बारे में बताया। ऋषियों ने राजा को देवशयनी एकादशी के दिन व्रत रखने की सलाह दी। ऋषियों की सलाह को मानते हुए राजा ने देवशयनी एकादशी के दिन व्रत रखना शुरू कर दिया और कुछ ही समय के बाद उनके राज्य में वर्षा हो गई और अकाल खत्म हो गया। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो लोग देवशयनी एकादशी का व्रत रखते हैं उन लोगों की हर मोनकामना पूरी हो जाती है।