10वीं में आये थे 84 प्रतिशत और 11वीं में हो गयी 2 बार फेल, सच्चाई सामने आने पर उड़े छात्रा के होश
आजकल मोदी जी का नारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ बहुत बुलंद है. इसके बावजूद कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिसे सुनने के बाद लगता है कि यह महज एक नारा ही है. इसका असलियत से कुछ लेना-देना नहीं है. पढ़ने का अधिकार सबको है, फिर चाहे वह कोई सामान्य छात्र हो या कोई दिव्यांग. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दिव्यांग बच्चों की गिनती सामान्य बच्चों में नहीं करते. वह उन्हें सामान्य बच्चों से अलग रखते हैं फिर चाहे उनमें कितना भी टैलेंट क्यों न हो. आज हम आपके लिए देहरादून की एक ऐसी घटना लेकर आये हैं जहां एक दिव्यांग छात्रा ने आरोप लगाया है कि उसे 11वीं कक्षा में जानबूझकर दो बार फेल किया गया है. इस गंभीर आरोप के बाद जो सच्चाई सामने आई उसे जानकर पैरों तले ज़मीन खिसक गयी.
दिव्यांग छात्रा का नाम प्रियंका है और वह आईटीबीपी केंद्रीय विद्यालय में 11वीं कक्षा की स्टूडेंट है. इस खबर के बाद प्रियंका से बात करने पर पता चला कि उसे 10वीं कक्षा में 84 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे. इसलिए उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर वह एक ही कक्षा में दो बार फेल कैसे हो सकती है. 11वीं में दूसरी बार भी जब वह फेल हो गयी तो उसने स्कूल प्रबंधन अपनी अंसरशीट मांगी. लेकिन स्कूल प्रशासन उसे अंसरशीट देने में आनाकानी करने लगा. लाख कोशिशों के बाद जैसे-तैसे छात्रा को अंसरशीट थमाई गयी. उसके बाद जो सच्चाई सामने आई उसे जानकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी.
बता दें कि प्रियंका के रिपोर्ट कार्ड पर उसके मां-बाप का नहीं बल्कि किसी और का नाम लिखा हुआ था. इतना ही नहीं रिपोर्ट कार्ड पर जो डेट ऑफ बर्थ लिखी गयी थी वह भी गलत थी. प्रियंका ने स्कूल की प्रिंसिपल पर आरोप लगाया कि वह उसे अपनी स्ट्रीम बदलने के लिए कहती थी. कई बार वह उस पर स्ट्रीम बदलने का दबाव भी बना चुकी है.
प्रियंका ने आरोप लगाया कि पहली बार 11वीं में फेल होने पर उसे कम्पार्टमेंट एग्जाम नहीं देने दिया गया था और दूसरी बार उसे 4 विषयों में फेल कर दिया गया. इतना सब कुछ हो जाने के बाद उसने एससी-एसटी आयोग से गुहार लगायी. आयोग ने सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को बुलाया जिसमें स्कूल की प्रिंसिपल मिकी खुल्बे एब्सेंट रहीं. फिर आयोग ने दूसरी डेट दी जिसकी जानकारी प्रियंका को नहीं दी गयी. इस बार आयोग ने प्रियंका के खिलाफ फैसला सुना दिया. इस मामले पर जब स्कूल की प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने खुद को व्यस्त बताकर बात को टाल दिया.
बता दें कि प्रियंका शरीर से 60 प्रतिशत दिव्यांग है. उसके पिता एक मजदूर हैं जो कि मजदूरी कर के परिवार का पालन पोषण करते हैं. लगातार दो बार फेल होने की वजह से प्रियंका को स्कूल से भी निकाल दिया गया है. अब उसे समझ नहीं आ रहा कि ऐसे में उसे क्या करना चाहिए. प्रियंका पढ़ लिखकर नाम कमाना चाहती थी लेकिन अब उसे न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.