अध्यात्म

500 साल पुराने इस मंदिर में नौकरी की मन्नतें होती है पूरी, कोई भी भक्त नहीं लौटा खाली हाथ

सभी लोगों के मन में पढ़ने लिखने के बाद एक अच्छी नौकरी पाने की ख्वाहिश रहती है लगभग ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होगा जिसके मन में यह ना हो कि उसको अच्छी नौकरी ना मिले लगभग सभी लोग यही चाहते हैं कि उनको अच्छी से अच्छी नौकरी मिले जिससे वह अपने जीवन में खूब तरक्की कर पाए बहुत से लोग ऐसे हैं जो अच्छी नौकरी पाने के लिए विदेश जाना चाहते हैं परंतु सभी लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाए यह संभव नहीं हो सकता, कुछ लोग होते हैं जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है परंतु ज्यादातर लोगों की मनोकामनाएं अधूरी ही रह जाती हैं परंतु आप लोगों में से ऐसे बहुत से कम लोग होंगे जिनको इस बात की जानकारी होगी कि हमारे भारत में एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां पर सबकी मनोकामनाएं पूरी होती है जी हां, आप लोग बिल्कुल सही सुन रहे हैं दरअसल हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं इस मंदिर के अंदर बेरोजगार लोग अपनी नौकरी की मनोकामना लेकर आते हैं और इनकी मनोकामनाएं पूरी भी होती है।

दरअसल, यह मंदिर हैदराबाद के लगभग 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जिस मंदिर के अंदर जिन लोगों को कोई नौकरी नहीं मिलती वह अपनी प्रार्थना लेकर आते हैं इसके अतिरिक्त लोग इस मंदिर के अंदर वीजा दिलाने की प्रार्थना के लिए भी आते हैं ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जो भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है वह कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है यह अनोखा मंदिर हैदराबाद की सीमा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिल्कुर बालाजी मंदिर है यह मंदिर लोगों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है इस मंदिर में लोग चढ़ावे के रूप में हवाई जहाज अर्पित करते हैं यहां के लोगों का ऐसा कहना है कि अगर इस मंदिर में हवाई जहाज चढ़ाया जाए तो वीजा मिलने में आसानी होती है भक्तों का ऐसा कहना है कि वीजा के लिए दूतावास के चक्कर लगाने से बेहतर है कि चिल्कुर बालाजी मंदिर में आ जाए, वीजा बनाने में जो भी परेशानियां और बाधाएं उत्पन्न होती हैं वह सभी दूर हो जाती है अगर आप लोगों में से किसी को भी कई महीनों से वीजा नहीं मिल पा रहा है तो आप आंध्र प्रदेश में स्थित चिल्कुर बालाजी मंदिर में आ सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

यह अनोखा मंदिर वीजा वाले बालाजी के नाम से भी मशहूर है लोग इसको वीजा वाले बालाजी के नाम से भी जानते हैं इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर करीब 500 साल पुराना है इस मंदिर के अंदर लोग अपनी नौकरी की मनोकामना लेकर आते हैं और उन सभी लोगों की मनोकामनाएं जल्द से जल्द पूरी भी हो जाती है लोक कथाओं के अनुसार देखा जाए तो यह जानकारी मिलती है कि वेंकटेश बालाजी के एक भक्त हर रोज कई किलोमीटर चलकर तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए जाते थे 1 दिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई थी और वह मंदिर में नहीं जा पाए थे उसके बाद खुद बालाजी ने अपने भक्त के सपने में आकर उसको दर्शन दिए थे और उन्होंने कहा था कि इतनी दूर जाने की कोई जरूरत नहीं है मैं यही तुम्हारे पास इस जंगल में रहता हूं अगले दिन जंगल में उसी स्थान पर मूर्ति की स्थापना कराई गई थी जिसको चिल्कुर बालाजी के नाम से जानते हैं।

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