कल से शुरू है छठ पर्व, पहली बार व्रत करने वाले जाने लें जरूरी नियम, तभी मिलेगा पूजा का पूर्ण फल
छठ पर्व को हिंदुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह मुख्यत: बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है परंतु इस पर्व से जुड़ी आस्था और महत्व के कारण अब देश से लेकर विदेशों में भी भारतीय मूल के लोग इस त्योहार को मनाते हैं। इस साल सूर्य को अर्घ्य देने और पूजन करने का महापर्व छठ 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। लोग 4 दिन के इस पर्व की तैयारियों में जुट चुके हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से होती है।
28 अक्टूबर को नहाय-खाय से इस पर्व की शुरुआत होती है। इसके बाद 29 अक्टूबर को खरना है। खरना के दिन व्रत करने वाली स्त्रियां छठी माता और भगवान सूर्य के लिए पकवान बनाती हैं। इसके पश्चात 30 अक्टूबर को शाम के समय अर्घ्य दिया जाता है। 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ महापर्व संपन्न होता है। यह पर्व 36 घंटे तक निर्जला रखा जाता है। यह व्रत बेहद कठिन होता है इसलिए आस्था का पर्व छठ पूजा में कुछ महत्वपूर्ण बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।
खासतौर पर जो लोग पहली बार छठ का व्रत रख रहे हैं और पूजा कर रहे हैं, उनको इन नियमों का पालन करना बहुत ही जरूरी है, तभी आपको पूजा का पूर्ण फल मिलेगा।
जानिए छठ पूजा कब से हो रहा है शुरू
छठ पूजा का पहला दिन- नहाय-खाय (28 अक्टूबर, शुक्रवार)
छठ पूजा का दूसरा दिन- खरना (29 अक्टूबर, शनिवार)
छठ पूजा का तीसरा दिन- संध्याकालीन अर्घ्य (30 अक्टूबर, रविवार)
छठ पूजा का चौथा दिन- सुबह का अर्घ्य (31 अक्टूबर, सोमवार)
छठ व्रत और पूजा के इन नियमों का करें पालन
1. आपको बता दें कि नहाय खाय से ही छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। इस दिन स्नान करने के पश्चात पूजा होती है। इसके बाद व्रत करने वाली महिलाएं कद्दू-भात का भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन व्रत करने से पहले एक बार ही खाना होता है।
2. इसके अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि को खरना होता है। इस दिन सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक महिलाओं का व्रत रहता है। इस दिन छठी माता और सूर्य देव के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। प्रसाद की जो भी सामग्रियां जैसे गेहूं धोना-पीसना आदि होती हैं, उनको घर में ही तैयार किया जाता है। यह प्रसाद तैयार करते समय पवित्रता का बहुत ज्यादा ध्यान रखना आवश्यक है।
3. आपको बता दें कि छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे प्रमुख दिन माना जाता है। छठ पर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के दौरान विभिन्न प्रकार के फल अर्पित किए जाते हैं। इस दिन व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देता है।
4. वहीं छठ के आखिरी दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। 36 घंटे के व्रत के बाद यह अर्घ्य दिया जाता है। यह 31 अक्टूबर को छठ का आखरी दिन होगा। इस दिन व्रती महिलाएं व्रत खोलती हैं। 4 दिन के इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का बड़ा महत्व होता है, जिसका ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है।
5. ऐसा माना जाता है कि छठ व्रत पूरे विधि-विधान और भक्ति भाव से रखा जाए तो छठी माता हर मनोकामना पूरी करती हैं। ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में द्रौपदी ने भी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की थी। इसीलिए अगर आप अभी अपनी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहती हैं और अपनी मनोकामना पूरी करना चाहती हैं तो छठ व्रत की पूजा के नियमों का पालन जरूर करें।