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स्त्री और पैसे में से किसी को चुनना हो तो किसे चुनेंगे आप, जानें क्या कहते हैं चाणक्य

भारत हमेशा से ही ज्ञानियों का देश रहा है। यहाँ एक से बढ़कर एक ज्ञानियों ने जन्म लिया है। प्राचीनकाल से लेकर अब तक यहाँ ज्ञान की कोई कमी नहीं है। आज भी भारत के लोग पूरी दुनिया में अपने ज्ञान की वजह से ही जानें जाते हैं। ज्ञान ही आज के समय में वो कुंजी है, जिसकी मदद से आप सबकुछ हासिल कर सकते हैं। जब ज्ञान की बात की जाती है तो सबसे पहले आचार्य चाणक्य का नाम आता है। आचार्य चाणक्य बहुत ही ज्ञानी व्यक्ति थे। इन्होंने अपने जीवन में बहुत ही ज्ञान एकत्र किया था। इन्होंने अपने ज्ञान को अपने तक सीमित ना रखकर लोगों की भलाई के लिए उसे एक पुस्तक का रूप दिया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि आचार्य चाणक्य को कई विषयों की बहुत अच्छे से जानकारी थी। इन्हें नीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र के साथ ही अन्य कई विषयों की भी जानकारी थी। इन्होंने अपने ज्ञान और बुद्धि के दम पर ही चंद्रगुप्त जैसे एक साधारण व्यक्ति को देश का सबसे बड़ा राजा भी बनवाया था, जिनका नाम आज भी लिया जाता है। चंद्रगुप्त को राजा बनाकर ये स्वयं उनके मंत्री बने थे। जब कभी भी चंद्रगुप्त को किसी राय की ज़रूरत होती थी तो ये उन्हें देते थे।

चाणक्य ने बताई हैं कुछ ख़ास बातें:

आचार्य चाणक्य ने कई ऐसी बातें उस समय कही थी जो आज के समय में भी बिलकुल सही बैठती हैं। आज भी जो उनकी बातों को मानकर उसके हिसाब से काम करता है, उसे जीवन में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। चाणक्य ने जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, जो हर व्यक्ति को जाननी चाहिए। चाणक्य नीति दर्पण के पहले अध्याय के छठे श्लोक में चाणक्य ने स्त्री और पैसे के बारे में कुछ ख़ास बातें बताई हैं। जिसमें यह बताया गया है कि पैसा ज़्यादा ज़रूरी है या स्त्री।

चाणक्य ने यह भी बताया है कि समय के साथ पैसे की रक्षा कब और कैसे करनी चाहिए। वहीं पैसे और स्त्री में से किसी एक को चुनने के लिए कहा जाए तो किसे चुनना बेहतर होगा। वहीं चाणक्य ने यह भी बताया है कि जब बात ख़ुद की रक्षा की आती है तो किसे चुनना चाहिए। अपनी बात को चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है।

श्लोक:

आपदार्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत अापदः ।
कदाचिच्चलते लक्ष्मीःसंचितोऽपिविनश्यति

अर्थ:

आचार्य चाणक्य ने बताया है कि पैसे की रक्षा करनी चाहिए यानी पैसे की बचत करना चाहिए। क्योंकि यही पैसा मुसीबत के समय हमारी रक्षा करता है। लेकिन जब स्त्री और पैसे में से किसी एक को चुनने की बात आती है तो पैसा छोड़कर स्त्री को चुनना चाहिए। धर्म और संस्कारों के साथ स्त्री ही आपके परिवार की रक्षा करती है। किसी भी महिला के बिना धर्म-कर्म अधूरे माने जाते हैं और बिना स्त्री के गृहस्थ आश्रम भी पूरा नहीं हो पाता है। लेकिन जब बात आत्मा को बचाने की आए तो उस समय स्त्री और पैसा दोनो के मोह को छोड़ देना चाहिए। तब ख़ुद को अध्यात्म के दम पर परमात्मा से जोड़ लेना चाहिए।

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