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लंगूर के बच्चे को प्यास बुझाना पड़ा महंगा, मुंह में फंस गया लोटा, घंटों प्यासा रहा, ऐसे बची जान

इन दिनों भयंकर गर्मी पड़ रही है। जल के सभी स्त्रोत भी सूखते जा रहे हैं। इंसान तो जैसे तैसे पानी की जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन बेजूबान जानवरों की मुसीबत बढ़ जाती है। वे पानी की तलाश में इधर उधर भटकते रहते हैं। हाल ही में प्यास बुझाने के चक्कर में एक लंगूर के बच्चे ने अपना मुंह लोटे में फंसा लिया। इसके बाद बच्चे की मां घंटों अपने जिगर के टुकड़े को लिए परेशान होती रही।

लंगूर के बच्चे के मुंह में फंसा लोटा

यह अनोखा मामला महाराष्ट्र (Maharashtra) के चंद्रपुर (Chandrapur) का है। ग्रामीणों के अनुसार गर्मी के दिनों में बंदर और लंगूर अक्सर रहवासी इलाके में खाना पानी की तलाश में आ जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। लंगूरों का एक झुंड रहवासी इलाके में प्यास बुझाने को आया। यहां लंगूर के नन्हे बच्चे को लोटे में पानी दिखा। जब उसने पानी पीने को इसमे मुंह अंदर डाला तो वह उसमें ही फंस गया। फिर तड़पने लगा।

बच्चे को फंसा हुआ देख मां ने भी लोटा निकालने की कोशिश की। लेकिन वह असफल रही। फिर सीने से बच्चे को चिपकाए इधर उधर घंटों घूमती रही। उसे देख दूसरे लंगूर भी पास आए। उन्होंने भी बच्चे के सिर से लोटा निकालने का प्रयास किया। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। उधर जब ग्रामीणों ने लंगूर के बच्चे और मां को तड़पते देखा तो उनका दिल भी पसीज आया। वे उनकी मदद करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसकी जानकारी वन विभाग की टीम को दी।

वन विभाग ने ऐसे बचाई जान

वन विभाग के कर्मचारी जब मौके पर आए तो देखा कि ढेर सारे लंगूर उस पीड़ित बच्चे को घेरकर बैठे थे। ऐसे में उनके लिए इन सबके बीच से बच्चे को अपने पास लाना बड़ी चुनौती बन गया। वन विभाग के अधिकारी सुरेश येलकेवाड़ बताते हैं कि पहले हमने पिंजरा लाकर उसमें खाने पीने का लालच दिया। लेकिन लंगूर उसमें नहीं आया। फिर ताडोबा टाइगर रिजर्व और कोठरी वन विभाग की टीम को बुलाया गया।

सभी ने मिलकर दिमाग लगाया। कई घंटों की मशक्कत के बाद आखिर वे लोग लंगूर के बच्चे को मां से लेने में कामयाब रहे। इसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने लोटे को काटकर लंगूर के बच्चे के मुंह से बाहर निकाला। उसके सिर में जो चोट आई थी उसका इलाज भी किया। लोटा फंसा होने की वजह से बच्चा भूख प्यास से भी तड़प रहा था। ऐसे में उसे पानी भी पिलाया गया। जब बच्चे का प्राथमिक उपचार हो गया तो उसे फिर से मां के पास छोड़ दिया गया।

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