VVIP पेड़ : 24 घंटे पुलिस का पहरा, हर 15 दिन में मेडिकल टेस्ट, क्या है इस वृक्ष की खासियत
आपने आज तक कई बार वीवीआईपी ट्रीटमेंट के बारे में सुना होगा. वीवीआईपी ट्रीटमेंट इंसानों के लिए होता है. अब आप कहेंगे इसमें कोई दो राय नहीं है. वीवीआईपी ट्रीटमेंट इंसानों की लिए ही होता है. राजनेता, फ़िल्मी सितारों और क्रिकेटर्स आदि को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है. हालांकि आज हम आपको बताएंगे कि मध्यप्रदेश के रायसेन में एक पेड़ को भी वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता है.
आप सोच रहे होंगे कि भला क्यों किसी पेड़ को वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाएगा. बिलकुल आप यह सोच सकते है. यह सोचने वाला मामला भी है. लेकिन इसके पीछे की वजह बेहद ख़ास और बड़ी है. आइए विस्तार से उस पेड़ के बारे में जानते है और साथ ही जानेंगे कि किस पेड़ के साथ ऐसा किया जाता है.
किसी वीवीआईपी की सुरक्षा पर लाखों रुपये खर्च होते है. सेलेब्स, क्रिकेटर्स, राजनेता और बिजनेसमैन की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी और गार्ड्स पहरा देते है. जबकि इस तरह की सुविधा एक पेड़ को भी मिलती है. हम जिस पेड़ की बात कर रहे है वो मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में बोधिवृक्ष है. इस पेड़ की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से भी की जाती है.
बोधिवृक्ष श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने 21 सितंबर, 2012 को लगाया था. बता दें कि बौद्ध धर्म में बोधिवृक्ष बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस वजह से इस वृक्ष की देखभाल किसी वीवीआईपी की तरह की जाती है. इस पेड़ को देखने के लिए बाहर से भी लोग आते रहते हैं.
10 साल से ज्यादा समय से यह पेड़ ख़ास तर की देखभाल से गुजर रहा है. 24 घंटे यह वृक्ष पुलिस के पहरे में रहता है. इसकी निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए है. इसकी देखभाल का जिम्मा सांची नगरपालिका, पुलिस, रेवेन्यू और हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट पर है.
बोधिवृक्ष 100 एकड़ की पहाड़ी पर लगा हुआ है. जानकारी के मुताबीक इसकी सुरक्षा में चार-चार सिपाही तैनात रहते है. यह पेड़ 15 फीट की फेंस से घिरा हुआ है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि किसी मरीज की तरह इस पेड़ का हर 15 दिन में मेडिकल टेस्ट किया जाता है. फिर उसके आधार पर पेड़ को खाद-पानी दिया जाता है.
हर साल पेड़ की सुरक्षा पर 12-15 लाख रुपये खर्च करती है MP सरकार
जब तत्कालीन श्रीलंकाई रष्ट्रपति ने साल 2012 में यह पेड़ लगाया था तब उनके साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे. गौरतलब है कि इस पेड़ पर राज्य की शिवराज सरकार हर साल 12 से 15 लाख रुपये खर्च करती है.