अध्यात्म

एक ऐसा चमत्कारिक ज्योतिर्लिंग, जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों के दूर होते हैं तकलीफें

जैसा कि आप लोग इस बात से भलीभांति वाकिफ होंगे कि हमारा देश धार्मिक देश माना जाता है और यहां आए दिन कोई ना कोई चमत्कार देखने को जरूर मिलता है ऐसे बहुत से मंदिर उपस्थित है जो अपनी किसी ना किसी विशेषता और चमत्कार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है इन्हीं स्थानों में से एक महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है यह 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से इसका छठा स्थान है इस ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है अगर हम पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देखे तो यहां पर भगवान शंकर ने कुंभकर्ण के पुत्र भीमेश्वर का वध किया था ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति के सारे दुख दूर हो जाते हैं जो भक्त यहां पर दर्शन करता है उनको अपने सभी दुखों से छुटकारा प्राप्त होता है।

शिव पुराण के अनुसार पुराने समय में भीम नामक एक बलवान राक्षस था वह रावण के छोटे भाई कुंभकरण का पुत्र था जब उसे पता लगा कि उसके पिता की मृत्यु भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम जी ने की है तो वह बहुत अधिक क्रोधित हो गया था भगवान विष्णु जी को हानि पहुंचाने के लिए उसने ब्रह्मा की तपस्या करके उनको प्रसन्न कर लिया था ब्रह्मा जी उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसके समक्ष प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा तब इस राक्षस ने ब्रह्मा जी से वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया था उसने इंद्र आदि देवताओं को हरा दिया इसके बाद उसने पृथ्वी को जीतना आरंभ किया यहां पर कामरूप देश के राजा सुदक्षिण के साथ उसका अत्यंत भयंकर युद्ध हुआ था अंत में भीम ने राजा सुदक्षिण को हराकर अपना बंधक बना लिया था राजा सुदक्षिण शिव भक्त थे वही कैद में रहकर उसने एक पार्थिव शिवलिंग बनाया और उसी की पूजा करने लगे।

जब इस बात की जानकारी भीम को लगी तब वह बहुत क्रोधित हो गया और राजा सुदक्षिण का वध करने के उद्देश्य से वहां पहुंच गया जब भीम ने सुदक्षिण से पूछा कि तुम यह क्या कर रहे हो? तब सुदक्षिण ने उसको जवाब दिया कि मैं इस जगत के स्वामी भगवान शंकर की पूजा-अर्चना कर रहा हूं भगवान शिव के प्रति राजा सुदक्षिण की भक्ति देखकर भीम ने जैसे ही उस शिवलिंग पर तलवार चलाई तभी वहां भगवान शिव जी प्रकट हो गए थे प्रकट होकर भगवान शिव जी ने कहा कि मैं भीमेश्वर हूं और अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रकट हुआ हूं भगवान शिव जी और राक्षस भीम के बीच युद्ध हुआ अंत में अपनी हुंकार मात्र से भगवान शिव जी ने भीम तथा अन्य राक्षसों को भस्म कर दिया था तब देवताओं और ऋषि मुनियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी कि आप इस स्थान पर सदा के लिए निवास कीजिए इस प्रकार सभी की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव जी उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए थे।

अगर आप भीमाशंकर मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो अगस्त और फरवरी महीने के बीच जाए ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर किसी भी समय आप यहां पर जा सकते हैं जो भी श्रद्धालु इस स्थान पर आता है वह यहां कम से कम 3 दिन अवश्य रुकता है यहां पर श्रद्धालुओं के लिए रुकने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है आपको यहां पर हर तरह की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

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