लाखों की भीड़ के समाने रोए बागेश्वर बाबा, भक्तों के पूछने पर बताया जीवन का यह राज
बीते दिनों बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री काफी चर्चा में रहे थे। नागपुर की एक संस्था ने उनके खिलाफ पाखंड फैलाने और अंधविश्वास को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे। एक संस्था ने उनके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए कानूनी करवाई की मांग की थी।
इस माले को लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कई दिनों तक चर्चा में रहे। कई दिनों तक देशभर के मीडिया चैनलों में उनके ही चर्चे होते रहे। उनके दरबार में देश भर की मीडिया भी पहुंच गई। उनकी छवि को धूमिल करने वाले लोग ताक लगाए बैठे थे कि जल्द से जल्द उन पर कोई एक्शन लिया जाए और उन्हें गलत साबित कर दिया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
नागपुर पुलिस को जांच में कुछ ऐसा उन्होंने मिला जिससे कि यह साबित होता हो कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कोई पाखंड करते है या वे अंधविश्वास को बढ़ा दे रहे हैं। नागपुर पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद महाराज को क्लीन चिट दे दी थी। इसके साथ ही उनके अर्श से फर्श पर आने के ख्वाब देखने वालों को भी जोरदार तमाचा जड़ दिया गया।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री देश दुनिया में राम कथा करते हैं। वे लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। उनके बोलने का अंदाज भी लोगों को काफी पसंद आता है। 27 वर्षीय शास्त्री का हंसमुख स्वभाव भी लोगों को काफी पसंद आता है। हालांकि जब उनके खिलाफ साजिशें रची जा रही थी तब वे कथा के दौरान रो पड़े थे। वहीं अब एक बार फिर से कथा के दौरान उनकी आंखों में आंसू आ गए
हाल ही में एक कथा के दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपनी बहन को याद करके रोने लगे। उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी बहन की शादी के लिए दर-दर भटकना पड़ा था। आज एक कथा के लिए बागेश्वर धाम के प्रमुख लाखों रुपये चार्ज करते है जबकि कभी उन्हें अपने जीवन में आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ा था।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव से संबंध रखने वाले धीरेंद्र शाष्त्री का बागेश्वर धाम भी यहीं पर है। यहां पर हनुमान जी का मंदिर है। यहीं पर बागेश्वर महाराज दरबार भी लगाते है। उन्होंने बताया था कि, उनकी मां कभी दूध बेचा करती थी जबकि उनके पिता गांव में ही कथा किया करते थे। घर के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। महाराज का बचपन गरीबी में गुजरा।
आर्थिक हालात ठीक न होने के कारण धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बहन की शादी कराने में काफी समस्या आई थी। बहन की शादी के लिए उन्हें उधार तक लेना पड़ा था। उन्होंने दर-दर से मदद की गुहार लगाई। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अपने पशु भी बेचने पड़े थे।
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में कथा के दौरान भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि, ‘संपत्ति नहीं थी, धन नहीं था। रुपया नहीं था। उधार खूब मांगा। कुछ नहीं मिला। तो हमारे यहां पर दो-तीन पशु थे उन्हें बेचा तब जाकर बहन के विवाह में कुछ व्यवस्था हो पाई। लेकिन उसी दिन हमने प्रण लिया था बालाजी के सामने कि बालाजी हमारे जीवन में कभी ऐसा दौर आएगा अगर गुरु ने चाहा तो हम एक दिन ऐसा लाएंगे कि हम भी गरीब बेटियों का विवाह करेंगे’।
महाराज ने बताया कि, अपनी बहन की शादी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। इस दौरान रोते-रोते उनका गला भर आया। वहीं पांडाल में मौजूद लोग भी भावुक हो गए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भाई को मेरे जैसा दुःख न मिले।