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भगवान के दर्शन करते समय भूलकर भी ना करें ये ऐसी गलतियां, वरना लाभ की बजाए मिलेगी हानि

सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विधान है, ऐसे में लोग मन की शांति और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। पर अक्सर लोग जाने-अनजाने में कुछ गलतियां कर बैठते हैं जिनसे देवदर्शन और पूजा का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है। आज हम आपको ऐसी ही गलतियों के बारे में सचेत कर रहे हैं ताकि आपसे वे भल ना हो सके और आपकी पूजा-आराधना का पूरा लाभ मिल सके।

जब भी मंदिर मे भगवान के दर्शन के लिए खड़े हो तो इस बात का ध्यान रहे कि मूर्ति के सामने बिल्कुल ना खड़े हों। कोशिश करे कि हमेशा तिरछी अवस्था में ही खड़े होकर पार्थना करें।

शास्त्रों के अनुसार, प्रात:काल जल्दी उठ कर, स्नान आदि दैनिक कायों से निवृत होकर ही भगवान के दर्शन या उनकी पूजा अर्चना करना चाहिए, ना कि आलस-नींद जैसे भावों के साथ भगवान का स्मरण करना चाहिए। धर्म ग्रंथो की मानो तो जो मनुष्य सुबह उठने के बाद भी उबासी लेता रहता है और नींद की अवस्था में रहता है, उसे भगवान की पूजा-अर्चना करने की मनाही है।

क्रोध या गुस्सा करना मनुष्य के अवगुणों में से एक माना जाता है। ऐसे में किसी भी समय क्रोध का भाव रखना तो मनुष्य के लिए हितकारी नहीं है, विशेषकर पूजा-अर्चना के समय तो मन किसी के प्रति क्रोध का भाव नहीं रखना चाहिए। क्योंकि अगर मन में क्रोध का भाव रहेगा तो अपना मन किसी भी कार्य में नहीं लग सकता और देवदर्शन और साधना के समय तो मन का शांत होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि अशांत मन से की गई पूजा कभी भी सफल नहीं हो सकती । इसलिए, मनुष्य को मंदिर जाने से पहले या भगवान की पूजा से पहले क्रोध और हिंसा जैसे भाव मन से निकान देने चाहिए।

वहीं नशे की स्थिति में भी भगवान का दर्शन करना सही नहीं होता, दरअसल भगवान की पूजा-अर्चना से पहले मनुष्य के तन- मन दोनों की शुद्धता जरूरी है, जबकि नशे की स्थिति में मन में बहुत से विकार उत्पन्न होते हैं, ऐसे में नशा करके भगवान का ध्यान या जप करना महापाप माना गया है।

उपहास या मजाक करना

वहीं भगवान के दर्शन करते समय हंसना, किसी का उपहास करना या किसी भी तरह का मनोरंजन करना ठीक नहीं होता है। इसलिए जब भी मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाएं या घर में पूजा-अर्चना कर रहे हो तो इस बात का हमेशा ध्यान रखें।

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