श्री गणेशजी के इस मंदिर में लगभग 128 वर्षों से जल रहा है दिया, दर्शन मात्र से होते हैं कष्ट दूर
भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। देश भर में ऐसे बहुत से गणेश मंदिर हैं, जहां पर भक्त दर्शन करने के लिए जाते हैं और अपने जीवन की परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। वैसे देखा जाए तो हमारा भारत देश कई मामलों में चमत्कारों से भरा हुआ है। देश में मंदिरों के अंदर होने वाले अद्भुत चमत्कार के आगे सभी लोगों का सर झुक जाता है। भारत देश के ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिनके चमत्कार को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। यहां तक कि इन चमत्कारों का कारण अभी तक पता नहीं लग पाया है। बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी इस विषय में अध्ययन कर चुके हैं, परंतु उनको इसके पीछे का रहस्य अभी तक नहीं मालूम चल पाया है। आज हम आपको भगवान गणेश जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो बेहद चमत्कारिक माना गया है। इस मंदिर में भगवान गणेश जी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए वास करते हैं। जो भक्त दर्शन करने के लिए यहां पर आता है ,उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हम आपको भगवान गणेश जी के जिस चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के कोल्हापुर क्षेत्र में एक सुंदर पर्वतीय गांव महड में स्थित है। इस मंदिर को अष्टविनायक वरदविनायक कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि भगवान श्री गणेश जी की आराधना के लिए यहां पर एक दिया हमेशा जलता रहता है। इस दिए को “नंददीप” कहा जाता है। ऐसा बताया जाता है कि वर्ष 1892 से यह दीपक लगातार गणेश जी की उपासना के लिए जल रहा है।
अगर हम भगवान गणेश जी के इस अत्यंत प्राचीन मंदिर के इतिहास के बारे में जाने तो ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1725 में सूबेदार रामजी महादेव बिवलकर ने करवाया था। गणेश जी का यह मंदिर सुंदर तालाब के किनारे बना हुआ है। यह पूर्व मुखी अष्टविनायक मंदिर पूरे महाराष्ट्र में मशहूर है। यहां पर भगवान गणेश जी अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर के चारों तरफ 4 हाथियों की प्रतिमा बनी हुईं हैं। मंदिर के ऊपर 25 फीट ऊंचा स्वर्ण शिखर बना हुआ है।
गणेश जी के इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में देवराज इंद्र के वरदान से जन्मे कुत्समद ने पुष्पक वन में घोर तपस्या की थी। तब भगवान गणेश जी इसकी तपस्या से खुश होकर वरदान मांगने को कहा था। तब कुत्समद ने कहा था कि “हे भगवान मुझे ब्रह्मा ज्ञान की प्राप्ति हो और देवता और मनुष्य दोनों ही मेरी पूजा करें” इसके अतिरिक्त कुत्समद यह वरदान भी मांगा था कि पुष्पक वन बहुत प्रसिद्ध हो और भक्तों के लिए सिद्धदायक साबित हो। आप यहां पर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए वास कीजिए। तब भगवान गणेश जी ने इनको वरदान दिया था कि वर्तमान युग सतयुग होने के कारण इस युग में इस क्षेत्र को पुष्पक कहा जाएगा, त्रेता युग में इसे मनीपुर कहा जाएगा, द्वापर युग में वनन और कलियुग में भद्रक कहा जाएगा। भगवान गणेश जी से वरदान मिलने के बाद कुत्समद ने एक उत्तम देवालय का निर्माण किया और गणेश मूर्ति का नाम वरदविनायक रखा था।
अगर आप भगवान गणेश जी के इस प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर में जाना चाहते हैं तो यह मंदिर मुंबई-पुणे हाईवे पर, पुणे से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खोपोली में है। आप यहां पर आसानी से जा सकते हैं। रेल मार्ग से आप कर्जत रेलवे स्टेशन या फिर खोपोली से भी जा सकतें हैं।