अध्यात्म

चमत्कारी शक्तियों से भरा माता का दरबार, जहां मां के आशीर्वाद से कोई भक्त नहीं सोता भूखा

भारतवर्ष में ऐसे बहुत से माता के दरबार है जिनमें चमत्कारिक शक्तियां छुपी हुई है, अक्सर इन मंदिरों में किसी ना किसी प्रकार का चमत्कार भक्तों को देखने को मिलता है, जिसके प्रति लोगों की आस्था अटूट होती जाती है, भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर है जिनसे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और यह सभी लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं, आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसे ही चमत्कारिक माता के मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो अपनी विशेषता और चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर में माता के आशीर्वाद से कोई भी भक्त भूखा नहीं सोता है।

भारत के अनेक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में स्थित है, जो लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, इस मंदिर को मां अन्नपूर्णा का मंदिर कहा जाता है, जो कि दुनिया भर में मशहूर है, इस मंदिर में माता को लोग अन्नपूर्णोश्वरी के नाम से जानते हैं, माता का यह मंदिर भद्रा नदी के तट पर होरनाडु गांव में स्थित है।

माता के इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां पर देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा खड़ी हुई मुद्रा में स्थापित है, माता की इस प्रतिमा के हाथों में शंख, चक्र और श्री चक्र है, इस मंदिर को कर्नाटक के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है, माता के इस दरबार में तीनो टाइम का भोजन मिलता है, भक्तों को इस मंदिर के अंदर सुबह, दोपहर और रात के समय भोजन दिया जाता है, इतना ही नहीं बल्कि यहां पर भक्तों के सोने के लिए इंतजाम भी करवाया जाता है।

इस मंदिर में देवी अन्नपूर्णा के साथ-साथ महागणपति, अंजनेय स्वामी और नवग्रह की भी पूजा होती है, माता के इस मंदिर को होरनाडु के नाम से भी लोग जानते हैं, ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर बहुत सी चमत्कारिक शक्तियां छुपी हुई है, जो भक्त इस मंदिर में अपने सच्चे मन से पूजा करता है तो उसकी कभी भी पूजा असफल नहीं होती है, यहां पर जो भी भक्त माता के दरबार में प्रार्थना करता है तो वह कभी भी भूखा नहीं रहता है।

इस मंदिर की सुंदरता की बात करें तो इस मंदिर की छतों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी बनी हुई है, आप मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी और मूर्तियां देख सकते हैं, इस मंदिर के अंदर गोपुरम में हिंदू देवताओं की मूर्तियों को सजाया गया है, ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना सर्वप्रथम महर्षि अगस्त्य ने करवाई थी, इसके पश्चात आठवीं शताब्दी में इसको दोबारा बनवाया गया था, जब इस मंदिर को दोबारा बनवाया गया तो वास्तु और ज्योतिष शास्त्र को ध्यान में रखा गया था।

अन्नपूर्णा देवी का यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, इस मंदिर में रोजाना दूर-दराज से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं और इस मंदिर की सुंदर नक्काशियों को देखकर आकर्षित हो जाते हैं, जो भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आता है उसके ऊपर माता का आशीर्वाद बना रहता है।

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