दिन में चराती है बकरियां, रात को मोबाइल की रोशनी में पढ़ती, कम संसाधनों में भी ऐसे किया टॉप
कहते हैं जिसमें कुछ कर दिखाने की ललक होती है वह कम संसाधनों में भी बहुत कुछ हासिल कर लेता है। वह इंसान अपने सामने आने वाली बाधाओं को देख हार नहीं मानता है। बल्कि उसका समाधान ढूंढ अपने लक्ष्य पर डटा रहता है। राजस्थान के अलवर जिले की रवीना गुर्जर भी ऐसी ही एक लड़की है। 17 साल की रवीना बकरी चराने का काम करती है। उनका परिवार इतना गरीब है कि घर में बिजली कनेक्शन लेने तक के पैसे नहीं है। लेकिन फिर भी रवीना ने 12वीं में टॉप कर एक मिसाल कायम की।
बेहद गरीब है रवीना का परिवार
रवीना अलवर जिले के गांव गढ़ी मामोड़ में रहती हैं। रवीना के पिता रमेश गुर्जर का 12 साल पहले ही सांप के डसने से निधन हो गया था। उनकी मां दिल की मरीज है। उनके इलाज में भी पैसे खर्च होते हैं। रवीना 4 भाई बहनों में तीसरे नंबर की हैं। उनकी बड़ी बहन की शादी हो गई है। घर में 90 साल की एक बूढ़ी दादी भी है। इनका घर एक टूटी फूटी झोपड़ी से बना है।
रवीना का परिवार बहुत गरीब है। वह बकरियां चलाने का काम करता है। वहीं पालनहार योजना से मिलने वाले 2000 रुपए से उनका घर खर्च चलता है। रवीना का पढ़ाई लिखाई में बहुत मन लगता है। हालांकि वह पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम-काज भी निपटाती है। इसमें झाड़ू, पोंछा, बर्तन, खाना बनाने से लेकर बकरियों को मैदान में चराने ले जाने तक के काम शामिल हैं।
मोबाइल टॉर्च की रोशनी में करती है पढ़ाई
घर की जिम्मेदारियों के साथ रवीना पढ़ाई पर भी ध्यान देती है। वह दिन में काम करने के बाद रात को रोज 3 घंटे पढ़ाई करती है। उनके घर बिजली कनेक्शन नहीं है। ऐसे में वह लालटेन या मोबाइल टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई करती हैं। उन्हें ये मोबाइल बाल आश्रम स्कूल चलाने वाले नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने सहयोग के रूप में दिया है।
रवीना ने इतने कम संसाधन में भी इतनी अच्छी पढ़ाई की है कि उनके 12वीं कला संकाय (आर्ट्स) में 93 प्रतिशत अंक आए। पहले गांव के लोग रवीना को बस एक बकरी चराने वाली लड़की के रूप में जानते थे। लेकिन जब रवीना ने 12वीं में टॉप किया तो वह पूरे गांव में फेमस हो गई। हर कोई उन पर गर्व करने लगा। रवीना ने 93 प्रतिशत अंक लाकर नारायणपुर उपखंड में प्रथम स्थान हासिल किया है।
पुलिस में होना चाहती है भर्ती
रवीना की 90 वर्षीय दादी को जब पता चला कि उनकी पोती ने 12वीं में टॉप किया तो उनके खुशी के आंसू निकल पड़े। उन्होंने पोती को आशीर्वाद दिया। रवीना का सपना है कि वह आगे चलकर पुलिस सेवा में भर्ती हो। इस तरह वह देश और जनता की सेवा में अपना योगदान देना चाहती है।
हम अक्सर देखते हैं कि कई बच्चों को सारी सुविधाएं मिलने के बावजूद वह पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगाते हैं। पढ़ाई न करने के बहाने बनाते हैं। लेकिन रवीना ने जिस तरह से विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई कर टॉप किया, वह सच में काबिले तारीफ है। दूसरे बच्चों को भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
टॉप करने के बाद मिला बिजली कनेक्शन
रवीना के टॉप करने की खबर और स्ट्रगल के बारे में जानने के बाद उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने बिजली विभाग को बिजली का कनेक्शन लगाने के निर्देश दिए। जिसके बाद रवीना के घर बिजली का कनेक्शन लगा दिया गया। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता जौहरी लाल मीणा के अनुसार यदि रवीना के घर बिजली की खपत प्रतिमाह 50 यूनिट के नीचे रहती है तो उनका बिजली का बिल शून्य रहेगा।