एक पिता ही बन गया अपने परिवार के लिए काल, आर्थिक तंगी के चलते जो किया जानकर आंसू निकल जाएंगे
पिता एक ऐसा शब्द जिसके साए में बच्चे खुद को महफूज समझते हैं। दुनिया की हर बुरी चीज से एक पिता अपने बच्चों को बचा कर रखता है। लेकिन तब क्या हो जब आपको इस दुनिया में लाने वाला शख्स और बुरे इंसानों से बचाने वाला शख्स खुद ही एक दरिंदा बन जाए। एक पिता के लिए उसके बच्चे उसकी जान होते हैं। लेकिन जब एक पिता ही अपने बच्चों के साथ दरिंदगी कर दे। सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपकी रूह कांप जाएगी। एक पिता ने बड़ी ही दरिंदगी से अपने बच्चों की जान ले ली। तो चलिए अब आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है।
दिल्ली के महरौली इलाके में एक पिता ने ऐसी दरिंदगी कर दी है जिसे जिसे जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर कोई पिता होकर ऐसा काम कैसे कर सकता है। इस जल्लाद ने अपनी पत्नी समेत अपनी दो बेटियों और बेटे को मौत के घाट उतार दिया। उसने अपने परिवार के सभी सदस्यों का गला चाकू से रेत कर उनको मौत के हवाले कर दिया। उस शख्स की दिमागी हालत का अंदाजा आप उसके इस घिनौने कारनामे से ही लगा सकते हैं।
अपने मासूम बच्चों का गला काटते समय क्या उसके हाथ नहीं कांपे होंगे। अपनी औलाद के साथ कोई व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकता है। ये सवाल आप सभी के जहन में चल रहा होगा। पड़ोसियों की मानें तो उस शख्स की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। जिसके चलते उसने अपने ही परिवार को इस दरिंदगी से मौत के घाट उतार दिया।
इस मामले में पुलिस से जब जानकारी ली गयी तो डीसीपी विजय कुमार ने बताया कि उन लोगों को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर इस कत्ल की जानकारी मिली। बता दें कि ये शख्स उपेंद्र शुक्ला पेशे से एक टीचर है। आरोपी ने देर रात को ही अपने पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया और फिर खुद से ही अपना गुनाह कबूल कर लिया।
बता दें कि आरोपी की पत्नी डायबिटीज से पीड़ित थी। घर में कुल 6 सदस्य रहते थे। जिसमें उसकी पत्नी, उसकी बड़ी बेटी जिसकी उम्र 7 साल थी, बेटा जिसकी उम्र 5 साल थी और सबसे छोटी बेटी जो महज डेढ़ महीने की थी और उपेंद्र की मां। घर में कमाने वाला सिर्फ उपेंद्र ही था। ऐसे में इस कत्ल की वजह आर्थिक तंगी और डिप्रेशन हो सकती है।
पुलिस ने बताया कि उपेंद्र की मां ने जब सुबह गेट खटखटाया तो उसने गेट नहीं खोला। जिसके बाद उसकी मां ने पड़ोसियों को इस बात की जानकारी दी। और पड़ोसियों ने ही पुलिस को फोन करके बुलाया। जब गेट खोला गया तो अंदर का मंजर देखकर हर किसी की रूंह कांप गई। कमरें में सभी की लाशें पड़ें हुई थीं। पुलिस ने बताया कि उनको लाशों के पास से दो नोट भी बरामद हुए, जिसमें से एक हिंदी और एक अंग्रेजी में लिखा हुआ है। इन नोट्स में उपेंद्र ने लिखा कि ये सभी कत्ल मैंने किए हैं. मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं।
पुलिस ने उपेंद्र को हिरासत में ले लिया है। पूछताछ में उपेंद्र ने बताया कि वह डिप्रेशन में हैं। हालांकि उसकी इस हरकत से सभी लोग हैरत में हैं। अपने ही परिवार को कोई कैसे खत्म कर सकता है। छोटे-छोटे बच्चों को जो खुद को उसके साए में महफूज मानते थे उनकी जान लेते वक्त क्या उसके हाथ नहीं कांपे होंगे? क्या उसको अपनी जिम्मेदारियां ्इतनी भारी लगीं की उसने सभी को मौत के घाट उतार दिया? ऐसे लोगों की मनोदशा क्या होती है? ऐसा घिनौना अपराध करते वक्त उनके दिमाग में क्या चलता है? ऐसे लोगों को इंसान कहना भी गलत हैं। क्योंकि एक इंसान इस तरह की हरकत नहीं कर सकता वो इंसान के रूप में एक शैतान ही है।