हमेशा संघर्षों से भरी रही दीना पाठक की जिंदगी, दर्जी से शादी कर किराए के मकान में काटी जिंदगी
हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्रियों में से एक दीना पाठक ने अपने करियर में ज्यादातर दादी-नानी और मां के किरदार निभाए हैं और इन किरदारों से उन्हें सिनेमा में एक बड़ी सफलता मिली। बता दें 4 मार्च 1922 को जन्मी दीना पाठक इंडस्ट्री की एक ऐसी अभिनेत्री थी जिन्होंने करीब 60 साल तक फिल्मी दुनिया पर राज किया और उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। आज हम आपको बताने जा रहे दीना पाठक के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिन्हें कम ही लोग जानते हैं।
आजादी की लड़ाई के लिए कर दिया था कॉलेज से बाहर
कहा जाता है कि, दीना पाठक ने अपने करियर की शुरुआत उस दौर में की थी जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना सही नहीं माना जाता था और ना ही घर के लोग उन्हें एक्टिंग की दुनिया में काम करने की अनुमति देते थे। लेकिन इसके इतर दीना पाठक ने फिल्मी दुनिया में बड़ा नाम कमाया।
रिपोर्ट की मानें तो जब दीना पाठक कॉलेज में पढ़ाई करती थी तभी वह आजादी के लिए खड़ी हो गई थी और इसके चलते उन्हें कॉलेज से बाहर कर दिया गया था। हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूसरे कॉलेज में एडमिशन लिया और फिर वह बीए की डिग्री हासिल करने के बाद बाहर निकली। बचपन से ही दीना पाठक को रंगमंच से लगाव था। यही वजह है कि आगे चलकर वह बॉलीवुड इंडस्ट्री की एक कामयाब अभिनेत्री बनकर उभरी।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत गुजराती फिल्म से की थी, लेकिन कुछ फिल्मों में काम करने के बाद ही उन्होंने एक्टिंग की दुनिया से दूरी बना ली और ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पास सिलाई की दुकान लगाने वाले दर्जी बलदेव पाठक के साथ शादी रचा ली। शादी के बाद दीना पाठक के घर दो बेटियों का जन्म हुआ। लेकिन इसी बीच उनके पति की मृत्यु हो गई जिसके चलते दिना पाठक ने अकेले ही अपने दोनों बेटी का पालन पोषण किया।
दीना पाठक ने किराए के मकान में गुजारी पूरी जिंदगी
बता दें, दीना पाठक की बेटियों को नाम रत्ना पाठक और सुप्रिया पाठक है जो बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्रियां है। बता दे दीना पाठक ने अपने करियर में करीब 120 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है जिसमें उन्होंने ज्यादातर किरदार सास, बहू, नानी और दादी के निभाए हैं। उन्होंने ‘गोलमाल’, ‘उमराव जान’, ‘तमस’ और ‘मोहन जोशी हाजिर हों’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया था।
दीना पाठक को लेकर कहा जाता है कि वह बेहद सहज स्वभाव की अभिनेत्री थी। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी एक किराए के मकान में ही गुजार दी। रिपोर्ट की मानें तो उन्होंने हिंदी सिनेमा के साथ-साथ इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर भी काम किया था। उन्होंने आखिरी बार फिल्म ‘पिंजर’ में काम किया था। इसके बाद 11 अक्टूबर साल 2002 को वह इस दुनिया से रुखसत हो गई।