विदाई के बाद ससुराल पहुंची दुल्हन, ससुर ने लगा दिया दरवाजा, फिर जो हुआ किसी ने नहीं सोचा था
रात में शादी की सभी रस्में हो गई। सुबह दूल्हा अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर घर पहुंचा। लेकिन ससुराल वालों ने दूल्हा और दुल्हन के लिए घर के दरवाजे नहीं खोले। कई घंटे बीत गए। दूल्हा-दुल्हन भीषण गर्मी में घर के बाहर ही खड़े रहे। आस-पड़ोसी और रिश्तेदारों को दया आ गई। लेकिन घरवालों के दिल में दया की एक बूंद भी नहीं दिखी। जिसने भी ये नजारा देखा वह इसी सोच में पड़ गया कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो ससुरालवालों ने नई नवेली दुल्हन को घर में एंट्री नहीं दी।
घर के बाहर घंटों खड़े रहे दूल्हा-दुल्हन
दरअसल ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली के कोतवाली थाना इलाके के गल्ला मंडी का है। यहां वीरेंद्र सोनकर कृष्णा नगर मोहल्ले में शनिवार (14 मई) बारात लेकर गया था। शादी वाली रात दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया। ऐसे में दूल्हे के भाई, पिता और बहन उसी रात घर लौट गए। हालांकि दूल्हा नहीं गया और उसने दुल्हन संग 7 फेरे लिए। शादी की पूरी रस्में हो गई। फिर अगले दिन विदाई के बाद दूल्हा अपनी दुल्हन को घर ले गया।
यहां दूल्हे के घरवालों ने दुल्हन को अपने घर लाने की अनुमति नहीं दी। दरअसल शादी वाली रात की दूल्हे के पिता ने बेटे को बोल दिया था कि अपनी दुल्हन को हमारे घर मत लाना। लेकिन दूल्हा नहीं माना, वह दुल्हन को सुबह घर ले आया। ऐसे में नाराज पिता ने घर का दरवाजा तक नहीं खोला। मजबूरी में नई नवेली दुल्हन को भीषण गर्मी में घंटों बाहर बिताने पड़े। वह तो दूल्हे की चाची का दिल पसीज आया और उन्होंने दूल्हा-दुल्हन को अपने घर शरण दी।
दहेज के चलते हुई थी अनबन
इस मामले पर दूल्हे कर घरवालों ने अभी तक अपना कोई पक्ष नहीं रखा है। हालांकि दूल्हा-दुल्हन ने आरोप लगाया है कि घरवाले दहेज को लेकर नाराज थे। उन्हें दहेज में अपाचे गाड़ी और पचास हजार रुपए कैश चाहिए था। ये नहीं मिला तो वे शादी वाली रात नाराज होकर घर चले गए थे। इसलिए अगले दिन भी उन्होंने बेटे बहू को घर में नहीं घुसने दिया।
यहां दूल्हे वीरेंद्र की तारीफ होनी चाहिए। उसने अपने घरवालों की बजाय सही का साथ दिया। वह दहेज लेने के पक्ष में नहीं था। उसने इस नाजुक स्थिति में भी दुल्हन का साथ नहीं छोड़ा। जबकि अक्सर ऐसी स्थिति में दूल्हा भी घरवालों की बातों में आकर दहेज की मांग करता है या शादी तोड़ देता है। लेकिन वीरेंद्र इसका अपोजिट निकला। अब वीरेंद्र को उम्मीद है कि उसके घर वाले जल्द ही अपनी बहू को स्वीकार कर लेंगे और उनका गुस्सा शांत हो जाएगा।