अध्यात्म

भगवान शिव का अद्भुत मंदिर, जहां बाघ के रूप में हैं ये विराजमान, मंदिर के द्वारपाल हैं भैरवनाथ

हमारे देश में ऐसे बहुत से हजारों मंदिर हैं जिनका अपना अलग ही महत्व बताया जाता है, अगर हम भगवान शिव के मंदिरों की बात करें तो देश दुनिया में हजारों शिव मंदिर है और इन सभी शिव मंदिर की कोई ना कोई कथा जरूर है, अक्सर भक्त इन मंदिरों में जाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, इतना ही नहीं बल्कि ऐसे बहुत से मंदिर है जहां पर रोजाना ही कोई ना कोई चमत्कार देखने को मिलता है, इन चमत्कारों के आगे लोगों की आस्था और अटूट हो गई है, आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन शिव मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो बेहद अद्भुत है, जी हां, क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव जी बाघ के रूप में विराजमान है।

आप लोगों ने बहुत से शिव मंदिरों की विशेष कथा के बारे में सुना होगा, लेकिन हम आपको जिस शिव मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह उत्तर भारत में एकमात्र प्राचीन शिव मंदिर है, जो कि दक्षिण मुखी है, जिस में शिव शक्ति की जल लहरी पूर्व दिशा को है, आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे धाम के बारे में बताने वाले हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि महादेव को यह धाम सबसे अधिक प्रिय है, भगवान शिव जी का यह मंदिर गोमती सरयू नदी के संगम पर स्थित है, जिसको बागेश्वर का बागनाथ मंदिर कहा जाता है।

बागेश्वर के बागनाथ मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव जी यहां पर बाघ के रूप में निवास करते हैं, इस मंदिर का निर्माण 1602 में चंद्रवंशी राजा लक्ष्मीचंद ने करवाया था, इस मंदिर के समीप बड़ेश्वर मंदिर है और इसके पास ही भैरव नाथ जी का भी मंदिर बना हुआ है, ऐसा कहा जाता है कि बाबा काल भैरव इस मंदिर में द्वारपाल के रूप में निवास करते हैं और इसी स्थान से यह पूरे संसार पर अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं, शिव पुराण के मानस खंड के अनुसार इस बात का उल्लेख किया गया है कि इस नगरी को शिव के गण चंडीश ने बसाया था, देवों के देव महादेव की इच्छा के पश्चात ही इस नगर को बसाया गया था, महादेव को यह नगर बहुत ही प्रिय है।

पुराणों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अनादि काल में मुनि वशिष्ट अपने कठोर तप बल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली मां सरयू को लेकर आ रहे थे, इसी स्थान पर ब्रह्मकपाली के पास मार्कंडेय ऋषि तपस्या में लीन बैठे हुए थे, वशिष्ट जी को इनकी तपस्या भंग ना हो जाए, इस बात का खतरा सताने लगा था, ऐसा बताया जाता है कि धीरे-धीरे वहां से जलभराव होने लगा, सरयू नदी आगे नहीं बढ़ सकी थी, उसके पश्चात शिवजी ने बाघ का रूप धारण करके माता पार्वती जी को गाय बना दिया था, ऐसा बताया जाता है कि महादेव ने ब्रह्म कपाली के पास गाय पर झपट ने का प्रयास किया था, तब गाय रंभाने लगी और मार्कंडेय ऋषि की आंखें खुल गई थी, तब ऋषि बाघ से गाय को मुक्त कराने के लिए दौड़ पड़े, बाघ ने महादेव और गाय ने माता पार्वती का रूप धारण किया, इसके पश्चात ऋषि को दर्शन देकर इनको इच्छित वरदान दिया और मुनि वशिष्ठ को भी आशीर्वाद मिला था।

बागनाथ मंदिर में जाकर भक्त बेलपत्र से इनकी पूजा करते हैं और कुमकुम, चंदन और बताशे अर्पित करने की परंपरा बताई जाती है, देवों के देव महादेव को खीर और खिचड़ी का भोग लगता है, भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर दिल्ली से 502 किलोमीटर की दूरी पर है आप इस मंदिर तक पहुंचने के लिए दिल्ली से बस और ट्रेन की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं, आनंद विहार बस स्टेशन और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से आपको हल्द्वानी पहुंचने तक का साधन मिल जाएगा, आप यहां से टैक्सी करके अल्मोड़ा होते हुए बागेश्वर पहुंच सकते हैं और भगवान शिव जी के इस धाम के दर्शन कर सकते हैं।

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