अध्यात्म

आखिर क्यों माने जाते हैं गणेशजी प्रथम पूजनीय? जानिए

जब भी मनुष्य शुभ कार्य करता है तो सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा करता है, उसके बाद ही वह कोई शुभ कार्य आरंभ करता है, बहुत से लोग होते हैं जो भगवान गणेश जी की आराधना में श्री गणेशाय नमः लिखकर उनके मंत्रों का उच्चारण करते हैं, ऐसा बताया जाता है कि गणपति जी की प्रथम पूजा करने से इनका आशीर्वाद मिलता है और कामकाज में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है, भगवान गणेश जी से लोग अपने कार्य सफल होने की कामना करते हैं।

सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा होती है, आखिर गणेश जी प्रथम पूजनीय क्यों माने जाते हैं? इनकी पहले पूजा क्यों की जाती है, आप लोगों में से ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिनको इस बात की जानकारी होगी, आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।

चलिए जानते हैं आखिर क्यों माने जाते हैं गणेशजी प्रथम पूजनीय

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं की किसी भी शुभ कार्य ,पूजा-पाठ में किसी भी प्रकार का विघ्न उत्पन्न ना हो, इसलिए भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि इनकी कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहे, परंतु इसके पीछे पौराणिक कथा भी बताई जाती है, एक बार सभी देवताओं में इस बात को लेकर वाद विवाद छिड़ गया था कि किस देवता की पूजा सभी देवताओ में सर्वप्रथम होनी चाहिए, सभी देवता अपने आपको सर्वश्रेष्ठ बताने में लगे हुए थे और काफी वाद विवाद बढ़ता जा रहा था, जब नारद जी ने यह स्थिति देखी तो उन्होंने सभी देवताओं को देवों के देव महादेव की शरण में जाने को कहा था और शिव जी से अपने इस प्रश्न का उत्तर जानने की सलाह दी थी।

सभी देवता अपने आपको सर्वश्रेष्ठ बताने में लगे हुए थे और अपनी शक्तियों को गिनवाने में लगे हुए थे, नारद जी की सलाह पर सभी देवता भगवान शिव जी की शरण में गए और उन्होंने शिवजी से अपने इस प्रश्न का उत्तर पूछा, तब भगवान शिव जी को एक योजना सूझी, उन्होंने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें सभी देवताओं को उन्होंने कहा था कि वह अपने-अपने वाहनों पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापस आ जाए, जो सबसे पहले ब्रह्मांड की पूरी परिक्रमा करके वापस यहां पर पहुंच जाएगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा, भगवान शिव जी की यह बात सुनकर सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार हो गए और पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए निकल गए।

भगवान शिव जी द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश जी भी थे, इन्होंने पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के स्थान पर इन्होंने अपने माता पिता यानी शिव पार्वती जी की सात परिक्रमा पूरी की और अपने माता-पिता के समक्ष हाथ जोड़कर खड़े हो गए थे, जब सारे देवता अपनी-अपनी परिक्रमा करके वापस आए, तब भगवान शिव जी ने गणेश जी को इस प्रतियोगिता का विजयी घोषित कर दिया था, जब देवताओं ने यह घोषणा सुनी की गणेश जी विजयी हो गए हैं तो उनको काफी आश्चर्य हुआ और सभी देवता भगवान शिव जी से इसके पीछे की वजह पूछने लगे थे, तब देवताओं के प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव जी ने उनको बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्मांड और समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं और समस्त सृष्टि से भी ऊंचा माना जाता है, सभी देवता भगवान शिव जी के इस फैसले से सहमत हो गए और भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button